चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-3 मिशन के बाद श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केन्द्र से सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य-एल1 सौर अन्वेषण मिशन के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहा है।
इसरो के सूत्रों ने सोमवार को यहां बताया कि सूर्य मिशन के लिए वह अपने विश्वसनीय और शक्तिशाली ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का उपयोग करेगा। पीएसएलवी-सी57/आदित्य-एल1 मिशन सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला आदित्य-एल1 के प्रक्षेपण की तैयार की जा रही है।
उन्होंने बताया कि सूर्य मिशन के उपग्रह को यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) बेंगलुरु में तैयार किया गया और यह एसडीएससी-एसएचएआर श्रीहरिकोटा में पहुंच गया है।
सूत्रों ने बताया कि आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा जोकि पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।
उन्होंने बताया कि एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी अंधेरे/ग्रहण के सूर्य की लगातार निगरानी की सुविधा है। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का विशलेषण करने का अधिक फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यान विद्युत चुम्बकीय और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग कर प्रकाशमंडल, सौर तूफान तथा सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) के अध्ययन करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा।
आदित्य एल1 के साथ सात पैलोड में से चार पैलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे और शेष तीन पैलोड परिस्थितियों के हिसाब से कल और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेंगे। आदित्य एल1 के पैलोड से सूरज में होने वाली गतिविधियों के अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले असर के बारे में अहम जानकारी मिलेगी।