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बिहार बस हादसा : घटता-बढता मौत का आंकडा, सच क्या?
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बिहार बस हादसा : घटता-बढता मौत का आंकडा, सच क्या?

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बिहार बस हादसा : घटता-बढता मौत का आंकडा, सच क्या?
After confirming 27 deaths, Bihar minister now claims no one died in motihari bus accident
After confirming 27 deaths, Bihar minister now claims no one died in motihari bus accident
After confirming 27 deaths, Bihar minister now claims no one died in motihari bus accident

पटना। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के कोटवा थाना क्षेत्र में गुरुवार को एक यात्री बस के गड्ढे में पलटने और उसमें आग लगने से हुई मौतों को लेकर उहापोह की स्थित बनी हुई है। आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने इस घटना में 12 लोगों की मौत की पुष्टि की थी। उसके बाद खबर आई कि 24 लोगों की मौत हुई, बाद में संख्या 27 बताई गई।

शुक्रवार को बस हादसे पर नया दावा सामने आया है। मंत्री के मुताबिक इस हादसे में किसी की मौत नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि इस बस में कुल 13 लोग सवार थे। बस में किसी यात्री का अवशेष नहीं मिला है।

मंत्री दिनेश चंद्र यादव वही शख्स हैं जिन्होंने गुरुवार को इस हादसे में 27 लोगों की मौत की पुष्टि की थी। शुरुआती दौर में हादसे में लोगों की मौत की खबर पर बिहार सीएम नीतीश कुमार ने दुख जताते हुए मुआवजा तक देने की बात कह दी।

पीएम मोदी और राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर संवेदना जताई थी। ऐसे में हादसे को लेकर जल्दबाजी में की गई मौत की पुष्टि ने नीतीश सरकार की किरकिरी ही कराने का काम किया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहार के मोतिहारी जिले के कोटवा इलाके में मुजफ्फरपुर से दिल्ली जा रही एक बस पुल से नीचे पलट गई। हादसे के बाद बस में आग लग गई। शुरुआती रिपोर्ट में बताया गया गया कि बस में 30 लोग सवार थे। ऐसी रिपोर्ट्स के आधार पर बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव ने 27 लोगों की मौत की पुष्टि भी कर दी।

सीतामढ़ी के डूमरा कैलाशपुरी के यात्री आदित्य श्रीवास्तव ने बताया कि बस करीब ढाई बजे मुजफ्फरपुर से चली थी। मैं शुरुआत में पीपराकोठी तक नीचे बैठा था। इसके बाद स्लीपर में सोने चला गया और इसके करीब 20 मिनट के बाद यह हादसा हुआ। हादसे के दौरान बस पूरी तरह गड्ढे में पलट गई, हालांकि उस वक्त तक बस में आग नहीं लगी थी।

उन्होंने कहा कि बस के पलटते ही चीख-पुकार मत गई, लेकिन बस से निकलने का कोई जरिया नहीं था। बस के दरवाजे बंद थे। बस से निकलना असंभव सा लग रहा था, लेकिन तभी बगल के ढाबे वाले व कुछ स्थानीय लोगों ने पत्थर मारकर बस का शीशा तोड़ दिया। आदित्य ने बताया कि किस तरह से उनकी आंखों के सामने बस के साथ लोग भी जल रहे थे।