नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की तीसरी बार शपथ ले ली हैं, इसी के साथ वह देश में एक बार फिर लोकप्रिय नेता की श्रेणी में शुमार हो गए है। 7 वर्ष पहले आम आदमी पार्टी के गठन के बाद केजरीवाल का राजनीतिक सफर बहुत ही उतार-चढ़ाव भरा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने जब अपनी पार्टी का गठन किया था तब उस समय देश के माने जाने और बुद्धिजीवी वर्ग उनके साथ आ खड़ा हुआ था।
उसके बाद आम आदमी पार्टी देश के कई राज्यों में लोकप्रिय होती चली गई थी। दिल्ली के अलावा पार्टी का पंजाब, गोवा, महाराष्ट्र आदि राज्यों में अच्छा खासा वोट प्रतिशत भी हो गया था। लेकिन बीच में कुछ परिस्थितियां ऐसी भी बनी की आम आदमी पार्टी से एक-एक करके कई अच्छे नेता अपने आप ही किनारे होते चले गए, उनमें से कुछ केजरीवाल से सहमत नहीं थे और कुछ पार्टी के अंदर गुटबाजी से नाराज होकर साथ छोड़ दिया था।
लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी का खराब दौर
वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में लगभग साढ़े 4 साल शासन कर चुके थे केजरीवाल के साढे़ 4 साल के शासनकाल में कई कद्दावर नेता और मंत्रियों ने अपने आप को पार्टी से अलग कर लिया था। पार्टी की स्थापित सदस्य कुमार विश्वास, आशुतोष और कपिल मिश्रा जैसे तमाम दिग्गज नेताओं ने पार्टी से नाता तोड़ लिया था, यही नहीं पंजाब, महाराष्ट्र, गोवा आदि राज्यों से भी कई पार्टी के स्थापित सदस्यों ने भी केजरीवाल से दूरी बना ली थी।
पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। ऐसे ही पंजाब में वर्ष 2014 में 4 सीट निकालने वाली आप पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट पर विजयी रही थी। पंजाब से एकमात्र सांसद भगवंत मान ही जीत पाए थे। हरियाणा, गोवा और महाराष्ट्र आदि राज्यों में पार्टी का लोकसभा चुनाव के दौरान ग्राफ तेजी के साथ गिर गया था जब कयास लगाए जा रहे थे कि आम आदमी पार्टी का सूर्यास्त हो जाएगा।
इस बार दिल्ली चुनाव में बंपर जीत के बाद फिर बढ़ा पार्टी का तेजी से ग्राफ
दिल्ली में मिली बंपर जीत के बाद आम आदमी पार्टी की नजर अब दूसरे राज्यों के चुनावों पर है। पार्टी ने अन्य राज्यों में अपने संगठन को मजबूत करने की कवायद तेज कर दी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 62 सीट जीतने वाली आम आदमी पार्टी का ग्राफ देशभर में तेजी साथ बढ़ गया है। अरविंद केजरीवाल भी देश भर में लोकप्रिय नेताओं की श्रेणी में शुमार हो गए हैं। राजनीति में अब केजरीवाल अपने आप को चतुर खिलाड़ी समझने लगे हैं।
अब उनको आभास हो गया है दिल्ली जैसी जीत और उनकी सकारात्मक राजनीति अन्य राज्यों में भी आज माई जा सकती है। इसी कड़ी में अब आम आदमी पार्टी ने देश के अन्य राज्यों में अपने संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है। पहला जोर संगठन को मजबूत करने पर है और उसके बाद केजरीवाल की पार्टी अन्य राज्यों में चुनाव मैदान में उतरेगी।
अन्य राज्यों में भी केजरीवाल पार्टी का विस्तार करने की कर रहे हैं तैयारी
आम आदमी पार्टी के दिल्ली के संयोजक गोपाल राय का कहना है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनावों में मिली धमाकेदार जीत से खासी उत्साहित है। आप नेताओं का कहना है कि दिल्ली में लोगों ने नकारात्मक राजनीति को सबक सिखाया है और विकास की राजनीति का साथ दिया है, लिहाजा इसी विकास की राजनीति को लेकर अब हम देश के अन्य राज्यों में भी जाएंगे और उसकी तैयारी दिल्ली में हुई जीत के बाद से ही शुरू कर दी गई है।
सबसे पहले पार्टी की कोशिश है की अलग-अलग राज्यों में संगठन को मजबूत किया जाए और इसी कड़ी में अन्य राज्यों की जो इकाइयां हैं उनसे जुड़े हुए सदस्यों को दिल्ली में बुलाया गया है और उनके साथ बैठकें की जाएंगी। बैठकों में इसी बात पर जोर दिया जाएगा कि कैसे राज्यों में संगठन को मजबूत किया जाए और भविष्य में होने वाले चुनावों की तैयारी की जाए।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार