लखनऊ। भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित करने के समाजवादी पार्टी के ऐलान को ब्राह्मण समाज के प्रति झूठा प्रेम करार देते हुए बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आने पर परशुराम समेत अन्य जाति और धर्मों में जन्मे महान सन्ताें, गुरुओं के महापुरुषों के नाम पर अस्पताल और जरूरी सुविधाओं से युक्त कम्युनिटी सेंटर का निर्माण कराएगी।
मायावती ने रविवार को कहा कि सपा ब्राह्मण प्रेम का दिखावा कर रही है जबकि असलियत है कि उसके राज में समाज के इस वर्ग का सर्वाधिक शोषण हुआ। अब यह पार्टी ब्राह्मण समाज के वोटों की खातिर, अपने राजनैतिक स्वार्थ में श्री परशुराम की ऊंची प्रतिमा लगाने की भी बात कर रही है लेकिन इस मामले में हमारी पार्टी का सपा को यह भी कहना है कि यदि इनको वास्तव में इनकी प्रतिमा इनके सम्मान में लगानी भी थी तो इनको इसे अपने पूर्व के रहे शासनकाल में ही लगा देना चाहिए था।
अब यह चुनाव के नजदीक होने पर प्रतिमा लगाने की बात कर रहे है, इससे यह साफ जाहिर हो जाता है कि अब इनकी हालत प्रदेश में बहुत ज्यादा खराब हो रही है और अब ऐसे में तो ब्राह्मण समाज इनके साथ कतई भी जाने वाला नही है। वैसे भी इस समाज का हर स्तर पर शोषण व उत्पीडन आदि भी इनकी सरकार में सबसे ज्यादा हुआ है, जिसके अनेकों उदाहरण जनता के सामने हैं।
उत्तर प्रदेश में चार बार बसपा की रही सरकार में इन वर्गो से जुड़े जिन महान सन्ताें, गुरुओं व महापुरुषों के नाम पर, उन्हें आदर-सम्मान देने के उद्देश्य से अनेकों जनहित की योजनाएं शुरू की गई थी, साथ ही कुछ नये जिले बनाकर उन ज़िलाें के नाम भी इनके नाम पर रखे गए थे जिसमें से अधिकतर का सपा की सरकार ने अपनी जातिवादी मानसिकता व द्वेष की भावना के चलते बदल दिया था।
उन्होंने कहा कि इन जिलों के नामों को बसपा की सरकार के बनते ही तुरन्त बहाल कर दिया जायेगा। सपा सरकार का लिया गया ऐसा फैसला अति-शर्मनाक व अति-निन्दनीय भी था, जो इनकी व उस पार्टी के मुखिया की दलित व अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता होने को भी काफी कुछ दर्शाता है।
मायावती ने कहा कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इस बार बसपा की सरकार बनने पर, विशेषकर ब्राह्मण समाज के आस्था एवं स्वाभिमान के प्रतीक माने जाने वाले भगवान परशुराम की प्रतिमा और अस्पतालों का निर्माण कराया जाएगा जिससे फिर एक तरफ जहां सभी जातियाें व धर्मों के महान् सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों को पूरा-पूरा आदर-सम्मान मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ कोरोना जैसी आगे अन्य और भी भयानक बीमारी के फैलने पर फिर वर्तमान की तरह खासकर उत्तर प्रदेश की विशाल जनता को कोई ज्यादा परेशानी नहीं आएगी।
ब्राह्मण समाज को हर मामले में बसपा पर पूरा भरोसा है कि यह पार्टी किसी भी मामले में सपा की तरह केवल कहती नहीं है बल्कि करके दिखाती है, अर्थात् बसपा की सरकार बनने पर फिर हमारी सरकार ब्राह्मण समाज की इस चाहत को ध्यान में रखकर यहां श्री परशुराम की प्रतिमा, हर मामले में सपा की तुलना मे ज्यादा भव्य ही लगाएगी।
उन्होंने कहा कि यदि क्षत्रिय व वैश्य समाज आदि भी अपने महान् सन्ताें, गुरुओं व महापुरुषों की प्रतिमा लगवाने की अपनी भावना दर्शाते हैं तो फिर इस मामले में उनकी भावनाओं को भी जरूर पूरा किया जाएगा व आदर-सम्मान दिया जाएगा। कहने का तात्पर्य यह है कि हमारी पार्टी की सरकार यहाँ सभी जाति व सभी धर्मों के महान् सन्तों, गुरुओं एवं महापुरुषों को हर स्तर पर पूरा-पूरा आदर-सम्मान देगी, यह मेरा सर्वसमाज को वायदा भी है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि आजकल राम-मन्दिर निर्माण के नाम पर भी काफी राजनीति की जा रही है, जो कतई भी उचित नही है क्याेंकि यह मामला लोगाें की केवल धार्मिक आस्था व भावनाओं से ही जुड़ा है, अर्थात् इसका राजनीतिकरण नही होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पांच अगस्त को अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण की नींव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई, जिसमें अच्छा होता कि दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले अपने राष्ट्रपति को भी बुला लेते एवं मोदी उनको अपने साथ में ले जाते ओर फिर इसका दलित समाज में एक अच्छा मैसेज भी संभवतः जाता। इस शिलान्यास को लेकर कुछ दलित संत आदि भी चिल्लाते रहे कि उनकी उपेक्षा की गई व उनका तिरस्कार किया गया है, जिसपर ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन राष्ट्रपति को शामिल कर लेते तो अच्छा होता।
मायावती ने कहा कि वैसे भी इस सन्दर्भ में हमारी पार्टी का यह मानना है कि अयोध्या में केवल राम-मन्दिर का निर्माण करने से व रामराज्य के कोरे गुणगान आदि करने से ही यहां उत्तर प्रदेश व पूरे देश की जनता का भला होने वाला नही है, बल्कि इसके साथ-साथ केन्द्र व खासकर उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार को उनके बताए हुए रास्तों पर भी चलना होगा अर्थात् उनकी सोच व कार्यशैली पर भी इन्हें अमल करना होगा, जो कि खासकर उत्तर प्रदेश में देखने को नहीं मिल रहा है। बात तो रामराज्य की जाती है लेकिन कानून-व्यवस्था के मामले में, अब यूपी पूरे तौर से यहाँ जंगलराज ही बन चुका है जैसा तो रामराज में कतई भी नहीं होना चाहिए।