नई दिल्ली। फसलोपरांत प्रबंधन एवं वितरण सहित स्मार्ट एवं सुव्यवस्थित कृषि के लिए किसान इंटरफेस विकसित करने के लिए छह राज्यों के 10 जिलों में चयनित 100 गांवों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए माइक्रोसाफ्ट आगे आया है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की उपस्थिति में इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर बुधवार को हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और आंध्र प्रदेश के चुने हुए गांवों में पायलट प्रोजेक्ट शुरु किए जायेंगे। इस प्रोजेक्ट के लिए माइक्रोसॉफ्ट अपने स्थानीय भागीदार, क्रॉपडेटा के साथ शामिल हुआ है।
इस संबंध में तोमर और दोनों राज्य मंत्रियों की मौजूदगी में एमओयू व त्रिपक्षीय विलेख का आदान-प्रदान किया गया। प्रोजेक्ट एक वर्ष के लिए है और एमओयू करने वाले दोनों पक्षकार अपनी स्वयं की लागत से इसका वहन करेंगे। इस प्रोजेक्ट से चयनित 100 गांवों में किसानों की बेहतरी के लिए विविध कार्य होंगे, जो उनकी आय बढ़ाएंगे। ये प्रोजेक्ट किसानों की आदान लागत को कम करेगा तथा खेती में आसानी सुनिश्चित करेगा। देश में वाइब्रेंट डिजिटल कृषि पारिस्थितिक प्रणाली बनाने के लिए अन्य सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के साथ इसी प्रकार के पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रस्ताव है।
सरकार का उद्देश्य असंगत सूचना की समस्या दूर करके किसानों की आय में वृद्धि करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से कई नई पहल शुरू की गई हैं। इस संबंध में एक प्रमुख पहल राष्ट्रीय कृषक डेटाबेस पर आधारित कृषि-कोष बनाना है। सरकार देशभर से किसानों के भू-रिकार्डों को जोड़कर किसान डेटाबेस तैयार कर रही है। पीएम किसान, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधित सरकार के पास उपलब्ध आंकड़े समेकित कर लिए गए हैं तथा अन्य आंकड़ों को जोड़ने की प्रक्रिया जारी है। कृषि मंत्रालय की सभी योजनाओं में जो भी परिसंपत्तियां निर्मित होगी, उसके जियो टैगिंग के लिए भी कृषि मंत्री ने निर्देश जारी किए हैं।
वर्ष 2014 के बाद से सरकार ने खेती-किसानी में आधुनिक तकनीक के उपयोग पर बहुत बल दिया है, ताकि इसके माध्यम से किसानों को सुविधा हो और उनकी आमदनी बढ़ सकें। प्रौद्योगिकी के उपयोग से किसानों के लिए खेती मुनाफे का सौदा बनेगी, साथ ही नई पीढ़ी भी कृषि की ओर आकर्षित होगी।
तोमर ने कहा कि सरकार की पारदर्शिता की सोच के अनुरूप प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) सहित अन्य योजनाओं की राशि सीधे हितग्राहियों के बैंक खातों में जमा कराई जा रही है। इसी तरह, मनरेगा भी प्रधानमंत्री जी की प्राथमिकता में है। पहले मनरेगा में प्रोग्रेस होती भी थी तो पूछे जाने पर ठीक प्रकार से परिदृष्य को बताना संभव नहीं हो पाता था, पहले इस योजना में अनेक प्रकार की शिकायतें भी आती थी, लेकिन अब प्रसन्नता की बात है कि टेक्नालाजी का उपयोग किए जाने से मनरेगा का सारा आंकड़ा सरकार के पास उपलब्ध है, जिससे आज मजदूरी की राशि सीधे मजदूरों के बैंक खातों में जाती है। आज मनरेगा में लगभग 12 करोड़ लोग जाॅब कार्डधारी हैं, जिनमें से लगभग सात करोड़ लोग काम प्राप्त करने के लिए आते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि कृषि अर्थव्यवस्था हमारे देश की रीढ़ की तरह है। कृषि क्षेत्र ने कोरोना महामारी जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी देश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दिया है। कृषि का कोई भी नुकसान देश का ही नुकसान होता है, इसलिए प्रधानमंत्री ने अनेक कार्य हाथ में लिए हैं। एक के बाद एक योजनाओं का सृजन तथा क्रियान्वयन हो रहा है, ताकि छोटे किसानों के लिए खेती लाभप्रद बने।
कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी, सचिव संजय अग्रवाल, अपर सचिव विवेक अग्रवाल, माइक्रोसाफ्ट इंडिया के अध्यक्ष अनंत माहेश्वरी, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर नवतेज बल व डायरेक्टर- स्ट्रेटेजिक सेल्स नंदिनी सिंह तथा क्रॉपडेटा टेक्नोलॉजी प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक सचिन सूरी, डायरेक्टर रमाकांत झा सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए।