नयी दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में भारत के मानव मिशन ‘गगनयान’ का खाका तैयार कर लिया है। इसे वर्ष 2022 से पहले अंजाम दिया जायेगा जिसमें तीन अंतरिक्ष यात्री पाँच से सात दिन के लिए पृथ्वी की सतह से 350-400 किलोमीटर की ऊँचाई पर अंतरिक्षयान में चक्कर लगायेंगे और अतिसूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण से जुड़े प्रयोगों को अंजाम देंगे।
अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह की मौजूदगी में इसरो अध्यक्ष के. शिवन ने आज यहाँ संवाददाताओं को बताया कि मुख्य मिशन 40 महीने के समय में यानी दिसंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इससे पहले दो बार इस प्रयोग को मानवरहित किया जायेगा। पहला मानवरहित गगनयान अब से ढाई साल की अवधि में और दूसरा अब से तीन साल की अवधि में भेजा जायेगा।
सिंह ने बताया कि पूरे मिशन पर 10 हजार करोड़ रुपये से भी कम का खर्च आयेगा जो किसी भी अंतर्राष्ट्रीय मानदंड पर बेहद सस्ता होगा। इसके लिए इसरो के बजट से अलग आवंटन किया जायेगा।
भारत अंतरिक्ष में मानव मिशन को अंजाम देने वाला चौथा देश होगा। अब तक सिर्फ (तत्कालीन) सोवियत संघ, अमेरिका और चीन ही यह उपलब्धि हासिल कर सके हैं।
डॉ. शिवन ने बताया कि अभी अंतरिक्ष यात्रियों का चयन नहीं किया गया है, लेकिन यह देखते हुये कि कम से कम दो-तीन साल का प्रशिक्षण आवश्यक होगा जल्द ही उनका चयन कर लिया जायेगा। पहले मिशन में वायु सेना के पायलटों को प्राथमिकता मिलने की उम्मीद है, लेकिन पायलटों के अलावा अन्य व्यक्तियों के चयन का विकल्प भी खुला है। निश्चित रूप से सभी अंतरिक्ष यात्री लक्षित अनुसंधानों को अंजाम देने में विशेषज्ञ होंगे।
गगनयान में तीन मॉड्यूल होंगे। क्रू मॉड्यूल में तीनों अंतरिक्ष यात्री रहेंगे तथा प्रयोग करेंगे। सर्विस मॉड्यूल में मिशन के लिए जरूरी चीजें होंगी। ये दोनों मॉड्यूल ऑर्बिटल मॉड्यूल के अंदर होंगे।
आँध्र प्रदेश के हरिकोटा से गगनयान का प्रक्षेपण किया जायेगा। यान 16 मिनट में करीब 400 किलोमीटर की ऊँचाई वाली कक्षा में पहुँच जायेगा। कक्षा में पाँच-सात दिन रहने के बाद गगनयान वापसी की यात्रा शुरू कर देगा। इसे अरब सागर में उतारने की योजना है। यान को कक्षा से समुद्र की सतह पर उतरने में 36 मिनट का समय लगेगा।
वापसी के दौरान 120 किलोमीटर की ऊँचाई पर सर्विस मॉड्यूल भी यान से अलग हो जायेगा और सिर्फ क्रू मॉड्यूल पैराशूट के सहारे समुद्र में उतरेगा। इसके बाद 15 से 20 मिनट में अंतरिक्ष यात्रियों को समुद्र से निकाल लिया जायेगा।
डॉ. शिवन ने बताया कि किसी भी आपातकाल के लिए कई स्टैंडबाय प्रणालियों की व्यवस्था होगी।