काबुल। अहमद मसूद के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा (एनआरएफ) ने रविवार रात एक बयान जारी कर उलेमाओं की ओर से पंजशीर में तालिबान और प्रतिरोध बलों के बीच शत्रुता को समाप्त करने की घोषणा का स्वागत किया।
अफगनिस्तान के उत्तर पूर्वी प्रांत में तालिबान के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए प्रतिरोध मोर्चा ने ऐसे समय में इस बयान का स्वागत किया है जब लड़ाई में मसूद के गुट के एक प्रमुख प्रवक्ता के मारे जाने की सूचना है।
प्रतिरोध मोर्चा ने कहा कि वह सैद्धांतिक रूप से मौजूदा समस्याओं को हल करने और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए सहमत है। उसे उम्मीद है कि तालिबान मौलवियों के अनुरोध का जवाब देगा और इस दिशा में व्यावहारिक कदम उठाएगा।
मोर्चा ने कहा कि अगर तालिबान पंजशीर और अंदराब में अपने हमलों और सैन्य अभियानों को समाप्त करता है तो वह स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए युद्ध को तुरंत समाप्त करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हम इस बातचीत को जारी रखने के लिए विद्वानों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की उम्मीद करते हैं।
मसूद ने कहा कि एनआरएफ पंजशीर पर लगाए गए प्रतिबंधों को उठाने के लिए मौलवियों के आह्वान का पूरी तरह से समर्थन करता है और उम्मीद करता है कि तालिबान समूह इस इस्लामी और मानवीय मांग को गंभीरता से लेगा और इसे लागू करेगा।
बयान में कहा गया है कि चूंकि अफगानिस्तान में अधिकांश मुस्लिम लोग हैं और सभी क्षेत्रों के लोग ‘एक सच्ची इस्लामी व्यवस्था’ स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में पंजशीर, अंदराब, परवान, कपिसा या अफगानिस्तान के अन्य हिस्सों में इस्लामी व्यवस्था स्थापित करने के लिए लड़ाई छेड़ने या तालिबान के हमले का कोई धार्मिक, मानवीय या तर्कसंगत कारण नहीं है।
मसूद ने कहा कि एनआरएफ का प्रस्ताव है कि तालिबान पंजशीर, अंदराब, परवन और कपिसा में अपने सैन्य अभियानों को रोक दे और पंजशीर और अंदराब से अपनी सेना वापस ले ले। बदले में, हम अपने बलों को सैन्य कार्रवाई से परहेज करने का निर्देश देंगे। एनआरएफ घोषणा करता है कि तालिबान के रिकॉर्ड के आधार पर जिन क्षेत्रों के लोगों को अपने शासन पर भरोसा नहीं है, उन पर तालिबान का हमला शरिया कानून के खिलाफ है।
बयान में कहा गया है कि एनआरएफ धार्मिक और नैतिक सिद्धांतों के तहत तालिबान के साथ विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें कहा गया कि हमारा लक्ष्य एक ऐसे राजनीतिक समाधान तक पहुंचना है जहां सभी सामाजिक समूहों का प्रतिनिधित्व किया जाता है और इसकी स्थापना और प्रचार में प्रतिबद्ध हैं।
इसबीच तालिबान के साथ लड़ाई में प्रतिरोध मोर्चा के प्रवक्ता फहीम दश्ती मारे गए। दश्ती का संबंध सर्वोच्च राष्ट्रीय सुलह परिषद के अध्यक्ष डा. अब्दुल्ला अब्दुल्ला से था। डा. अब्दुल्ला काबुल पर तालिबान के कब्जे (15 अगस्त) के बाद से ही गायब हैं और उनके ठिकाने के बारे में नहीं सुना गया है।
तालिबान से लड़ाई के दौरान पंजशीर प्रतिरोधी मोर्चा के प्रवक्ता की मौत
तालिबान के साथ लड़ाई के दौरान पंजशीर प्रतिरोधी मोर्चा के प्रवक्ता फहीम दुश्ती की मौत हो गई। अफगान न्यूज एजेंसी खामा प्रेस ने आज तड़के अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी। वहीं प्रतिरोधी मोर्चा से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि पंजशीर प्रतिरोधी मोर्चा के प्रवक्ता फहीम दुश्ती तालिबान के साथ लड़ाई में मारे गए।
बाद में राष्ट्रीय प्रतिरोधी मोर्चा ने भी आधिकारिक तौर पर कमांडर अब्दुल वुडोद जारा के साथ दुश्ती की मौत की पुष्टि कर दी। प्रतिरोधी मोर्चा ने ट्वीट कर कहा कि दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि द नेशनल रेजिस्टेंस ऑफ अफगानिस्तान ने आज दमन और आक्रमण के खिलाफ पवित्र प्रतिरोध में दो साथियों को खो दिया। एनआरएफ प्रवक्ता फहीम दुश्ती और जनरल अब्दुल वुडोद ज़ारा शहीद हो गए। उनकी स्मृति अमर रहे!