चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने अन्नाद्रमुक के 18 विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के मामले में गुरुवार को खंडित फैसला दिया। मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी एवं न्यायाधीश एम सुंदर की युगल पीठ ने इस मामले की वृहद सुनवाई के बाद गत जनवरी में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
न्यायाधीश बनर्जी ने इस मामले से जुड़ी सभी याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी कि विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने संबंधी मामले में विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल के निर्णय को लेकर हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
न्यायाधीश सुंदर ने हालांकि इस फैसले को लेकर अपनी असहमति जताई और कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय एकतरफा था। उनका कहना था कि 18 विधायकों की ओर से पेश सभी याचिकाओं को मंजूर किया जाना चाहिए।
विरोधाभास की इस स्थिति में न्यायालय ने कहा कि अंतिम फैसले के लिए अब इस मामले को तीसरे न्यायाधीश के पास भेजा जाएगा। मुख्य न्यायाधीश के बाद दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश एच जी रमेश तीसरे न्यायाधीश का मनोनयन करेंगे।
उल्लेखनीय है कि अगस्त 2017 में तमिलनाडु में सत्तारुढ़ अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता टीटीवी दिनाकरण के प्रति वफादारी जताने वाले 19 विधायकों ने मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी सरकार के प्रति अविश्वास जताते हुए राज्यपाल को इस संबंध में राज्यपाल को सूचित किया था।
विधानसभा अध्यक्ष ने 19 विधायकों में से 18 विधायकों को पार्टी से विद्रोह के आधार पर अयोग्य ठहरा दिया था जबकि एक विधायक ने इस घटनाक्रम से अपने को अलग कर लिया था।
अयोग्य ठहराये गए विधायकों ने अध्यक्ष के फैसले का उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के कई दौर के बाद न्यायमूर्ति बनर्जी और न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी ने इसी साल जनवरी में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को आए फैसले में मतभिन्नता के बाद अब इस मामले को तीसरे न्यायाधीश के पास भेजा, जिनका फैसला अंतिम होगा।