सबगुरु न्यूज-सिरोही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 7 जुलाई को जयपुर में आहूत रैली में सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को जुटाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को सौंपी है। इनके रहने खाने से लेकर अपने अपने जिलों से जुटाकर बस में बैठाकर जयपुर भेजने तक कि जिम्मेदारी कलेक्टर्स की होगी।सरकार की ओर से इस तरह का पत्र जारी होते ही कांग्रेस को एक नया मुद्दा मिल गया है।
सरकार के इस कदम के बाद एआइसीसी सदस्य संयम लोढा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जयपुर में प्रस्तावित रैली को प्रधानमंत्री-लाभार्थी संवाद योजना के तहत जिस तरह से सामान्य प्रशासन विभाग ने राज्य की पूरी मशीनरी को लाभार्थियों को जुटाने में लगा दिया है उससे इस बात की पुष्टि हो गयी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने प्रचार और रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए जनता का धन बर्बाद करते हैं।
लोढा ने आरोप लगाया कि ये इस बात का भी प्रमाण है कि प्रधानमंत्री और राजस्थान की मुख्यमंत्री की योजनाएं लोकप्रियता के सोपान नहीं चढ़ पाई है। यदि भाजपा की योजनाएं इतनी प्रभावशाली होती तो प्रधानमंत्री को मुख्य सचिव के माध्यम से सभी जिला कलेक्टरों पर दबाव बनाकर सरकारी मशीनरी से रैली को भीड़ जुटाने की जरूरत नहीं पड़ती। लोढ़ा ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि सरकारी योजनाओं को 30 प्रतिशत लोगों तक भी पहुँचाकर बेहतर लाभ दिलवाये होते को जनता भी उनके प्रति कृतज्ञता जताते हुए उन्हें आशीर्वाद देने जरूर पहुंचती, लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने मिलकर देश और राज्य के हालात इतने विकट कर दिए हैं कि लोग उन्हें कोस रहे हैं।
लोढ़ा ने कहा कि राजस्थान के लोगों में भाजपा के प्रति कितना रोष है ये 8 मार्च को प्रधानमंत्री की झुंझुनू रैली में भी नजर आ गया था। जहाँ भाजपा प्रधानमंत्री की रैली में पर्याप्त भीड़ नहीं जुटा पाई और उनकी रैली में ही भाजपा सरकार की योजनाओं से असंतुष्ट बेरोजगार युवाओं ने काले झंडे भी दिखाए थे। भाजपा के प्रति राज्य में लोगों में असंतोष और प्रधानमंत्री के प्रति लोगों के घटते आकर्षण के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री को सरकारी मशीनरी के माध्यम से भीड़ जुटाने की जरूरत आ पड़ी है।
लोढ़ा ने दावा किया कि प्रधानमंत्री की झुंझुनू रैली में 15 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इसमे से 3 करोड़ 40 लाख रुपये केंद्र से और 2 करोड़ 30 लाख रुपये राज्य सरकार से स्वीकृत हुए थे और शेष पैसा भाजपा ने खर्च किया था। वहीं इस बार भीड़ जुटाने के लिए सभी व्यवस्थाएं सरकारी मशीनरी पर सौंपने से ये सारा बोझ जनता की तिजोरी की रक्षा करने का दावा करने वाले चौकीदार खुद के हित में इस्तेमाल करने के लिए राजकोष पर डालने में लगे हैं।
लोढ़ा ने कहा किप्रधानमंत्री द्वारा अपनी योजनाओं के लाभार्थियों से मिलने के लिए सरकारी मशीनरियों द्वारा जयपुर बुलवाना इस बात की ओर भी इशारा कर रहा है कि वे राज्य की मुख्यमंत्री और उनके मातहत काम करने वाले मंत्रियों और संतरियों के कामों को शंका की नजर से देख रहे हैं। जिस तरह से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य में बहुमत की गरिमा गिराई है उससे प्रधानमंत्री ही क्या कोई भी मुख्यमंत्री राजे पर अविश्वास करने लगेगा।
लोढ़ा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने उद्योगपतियों को लाभ देकर और नोटबन्दी के घोटाले के बाद अपनी पार्टी के चंदे में जो बढ़ोतरी की है उसका इस्तेमाल वे चुनाव में भीड़ जुटाने के लिए करने की मंशा रखते हुए राजस्थान चुनाव पूर्व की रैलियां जनता के गाढ़ी कमाई के पैसे से एकत्रित टेक्स को राशि से करने को आतुर हैं।
लोढ़ा ने कहा कि इतना ही नहीं सरकार ने प्रधानमंत्री की रैली में लाभार्थियों की भीड़ जुटाने के लिए जिला कलेक्टर्स को भाजपा जिलाध्यक्ष और उपखण्ड अधिकारियों को भाजपा मंडल अध्यक्षों की भूमिका में लगा दिया है।
जिले के उपखण्ड अधिकारी द्वारा भाजपा के पदधिकारियोन को लाभार्थियों की सूची जुटाने के लिए जो पत्र लिखा गया है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि या तो जिले का भाजपा संगठन अपना प्रभाव खो चुका है और अब भाजपा को एक कॉरपोरेट स्टाइल में चलाने के लिए अधिकारियों का इस्तेमाल किया जा रहा है या जिले के ग्रामसेवक और पटवारी जैसे पदों पर तैनात मशीनरी एकदम नकार हो चुकी है और कलेक्टर और उपखण्ड अधिकारियों को इन पर इतना भी विश्वास नहीं है कि ये लोग लाभार्थियों की सूची बना सकते हैं।
लोढ़ा ने कहा कि इस पत्र ने एक बात और सिध्द कर दी है कि जिले में प्रशासनिक अव्यवस्था की स्थिति है। वरना जिन सरकारी योजनाओं का लाभ सरकारी कार्यालयों से ही मिलता है और वहीं सूची भी होती है उनकी सूचियां एकत्रित करने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं की जरूरत नहीं पड़ती।