नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सोमवार को दिल्ली की एक विशेष अदालत को सूचित किया कि उसने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस मामले में मुकदमा चलाने के लिए जरूरी मंजूरी हासिल कर ली है।
चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम को इसी मामले में फरवरी में गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था। सीबीआई ने हालांकि मामले के पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी हासिल करने के लिए न्यायालय से दो सप्ताह का समय मांगा तो विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी से छूट की अवधि 18 दिसम्बर तक के लिए बढ़ा दी।
सीबीआई एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी प्रदान करने में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही है जबकि प्रवर्तन निदेशालय सौदे से संबंधित कथित धन शोधन के आरोपों की जांच कर रहा है।
चिदंबरम पर एयरसेल-मैक्सिस मामले में अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर गैरकानूनी तरीके से 600 करोड़ रुपये तक के परियोजना प्रस्ताव को एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने का आरोप है जबकि इसके लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की मंजूरी की आवश्यकता होती है। इस मामले में वह मुख्य आरोपी हैं। ईडी की आेर से दायर किये गये आरोप पत्र में कार्ति चिदंबरम का भी नाम है।
जांचकर्ताओं का कहना है कि चिदंबरम ने 2006 में मलेशिया की कंपनी मैक्सिस द्वारा एयरसेल को खरीदने के 3500 करोड़ रुपये के सौदे को अनुमति देकर नियमों का उल्लंघन किया है। आरोप है कि इस सौदे के बाद एयरसेल टेलीवेंचर लिमिटेड ने कार्ति चिदंबरम से जुड़ी कंपनी को 26 लाख रुपए का भुगतान किया।