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Airlines will tell how much carbon emissions - एयरलाइंस को बताना होगा कितना हुआ कार्बन उत्सर्जन - Sabguru News
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एयरलाइंस को बताना होगा कितना हुआ कार्बन उत्सर्जन

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एयरलाइंस को बताना होगा कितना हुआ कार्बन उत्सर्जन
Airlines will tell how much carbon emissions
Airlines will tell how much carbon emissions
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नयी दिल्ली । विमानों से होने प्रदूषण को कम करने की अंतर्राष्ट्रीय पहल के तहत अगले साल से भारतीय विमान सेवा कंपनियों को अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के दौरान होने वाले कार्बन उत्सर्जन का रिकॉर्ड रखना होगा और इसकी जानकारी देनी होगी।

नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीएस) ने इसके लिए नियम का प्रारूप जारी किया है जिस पर 25 अक्टूबर तक सुझाव एवं टिप्पणियाँ आमंत्रित की गयी हैं। इसके अनुसार, 01 जनवरी 2019 से अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर उड़ान भरने वाली सभी एयरलाइंस को अपनी ईंधन खपत के आँकड़े एकत्र करने होंगे और सालाना कार्बन उत्सर्जन की जानकारी देनी होगी। अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईकाओ) ने वर्ष 2021 से 2035 तक विभिन्न चरणों में कार्बन उत्सर्जन घटाने का लक्ष्य रखा है। इसी के तहत डीजीसीए पहली बार कार्बन उत्सर्जन के बारे में नियम बनाने जा रहा है।

कार्बन ऑफसेटिंग एंड रिडक्शन स्कीम फॉर इंटरनेशनल एविएशन (कोर्सिया) को 27 जून 2018 को आईकाओ परिषद् ने मंजूरी दी थी। चिकित्सा, मानवता और अग्निशमन की जरूरतों को छोड़कर अन्य सभी अंतर्राष्ट्रीय उड़ान कोर्सिया के दायरे में आयेंगे।

सभी अंतर्राष्ट्रीय मार्गों के वर्ष 2019 और 2020 के आँकड़े आईकाओ को भेजे जायेंगे जिससे कार्बन उत्सर्जन का आधार आँकड़ा तैयार किया जायेगा। इसके बाद कार्बन उत्सर्जन कम करते हुये या कम से कम इसे बढ़ाये बिना विमानन क्षेत्र के विकास का लक्ष्य तय किया जायेगा।

प्रारूप में कहा गया है कि वर्ष 2021 से 2023 तक पायलट चरण तथा वर्ष 2024 से 2026 तक पहला चरण होगा। दूसरा चरण 2027 से 2035 तक होगा जिसे तीन-तीन साल के तीन खंडों में बाँटा गया है। आधार आँकड़े आने के बाद हर चरण और खंड के लिए आईकाओ लक्ष्य तय करेगा।

पायलट चरण और पहला चरण अनिवार्य नहीं होगा। यदि कोई देश शामिल होना चाहता है तो वह इनका हिस्सा बन सकता है। दूसरा चरण आईकाओ के हर सदस्य देश के लिए अनिवार्य होगा, हालाँकि बेहद कम उत्सर्जन कर रहे देशों को इससे छूट दी जायेगी।

प्रारूप में कहा गया है कि विमान सेवा कंपनियों द्वारा दिये जा रहे आँकड़ों की सत्यता की जाँच का अधिकार डीजीसीए के पास होगा। एयरलाइंस अपनी उत्सर्जन निगरानी योजना तैयार कर डीजीसीए को भेजेंगी। ऐसी विमान सेवा कंपनियाँ जो 01 जनवरी 2019 के बाद अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर सेवा शुरू करती हैं उन्हें 10 हजार टन उत्सर्जन के बाद तीन महीने के भीतर उत्सर्जन निगरानी योजना डीजीसीए के पास भेजनी होगी।