अलवर । राजस्थान में अलवर जिले के इंद्रगढ़ गांव में स्थित राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में स्थापित हवाई जहाज नुमा स्मार्ट डिजिटल कक्षा कक्ष लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ हैं।
अलवर शहर से सोलह किलोमीटर दूर इंदरगढ़ गांव में स्थित इस सरकारी स्कूल में एजुकेशन एयरलाइंस के रुप में स्मार्ट डिजिटल क्लास रूम स्थापित किया गया है। जिसमे एक साथ पचास बच्चे डिजिटल पढ़ाई कर रहे है। हवाई जहाज नुमा कक्षा-कक्ष का नाम इन्द्र विमान रखा गया है।
अलवर के सर्व शिक्षा अभियान के जूनियर इंजीनियर राजेश लवानिया ने सहगल फाउंडेशन के सहयोग से इस एजुकेशन एयरलाइंस को बनाया है। जमीन से सात फुट ऊंचाई पर यह तीन पहियों के रूप में बनाये पिलर्स पर खड़ा है जो करीब उन्नीस फुट ऊंचा है और लगभग चालीस फुट लम्बा है। देखने से यह नहीं लगता कि इसे कंक्रीट, सीमेंट, बजरी और ईंट से बनाया गया है। इसमें पिलर्स के नीचे हवाई जहाज के पहिए दिखाए गए हैं। इस विमान में चढऩे के लिए सीढिय़ों के साथ दोनों तरफ दरवाजे हैं। इसे अंदर एवं बाहर से पूरी तरह हवाई जहाज का कलर एवं डिजाइन दिया गया है जिस पर एजुकेशन एयरलाइन लिखा गया है।
इसमें स्मार्ट क्लासेज चलाई जा रही है जहां एक बार में पचास विद्यार्थी पढ़ रहे। यह अपनी तरह का देश का पहला नवाचार है। प्रत्येक क्लास को बारी बारी से इसमे पढ़ने का मौका मिलता है। इसमें बच्चों को इंटरनेट के माध्यम से उपयोगी जानकारी भी दी जाने लगी है। श्री लवानिया ने पिछले साल अलवर शहर के सरकारी स्कूल को एजुकेशन एक्सप्रेस ट्रेन का लुक भी दिया था।
एजुकेशन एयरलाइंस की वजह से यह स्कूल अब सेल्फी प्वाइंट बन गया है और लोग सेल्फी लेने दूर-दूर से आने लगे हैं। निजी स्कूलों के छात्र छात्राएं ग्रुप्स में इस स्कूल का भृमण कर चुके हैं। बड़ी संख्या में छात्र अगले सत्र में इस स्कूल में पढ़ने के लिए लालायित है। विद्यार्थियों के परिजनों ने अगले सत्र में उनको प्रवेश दिलाने के लिए अभी से स्कूल में संपर्क साधना शुरू कर दिया है।
यही नही गांव और आसपास के गांवों के अलावा शहर से भी दूल्हा-दुल्हन भी फोटो खींचवाने के लिए आ रहे हैं। हवाई जहाज के इस मॉडल का खर्चा समाजसेवी संस्था सहगल फाउंडेशन ने उठाया है। इसके चारों तरफ लगे संकेताक पर यहां से जिले प्रमुख दर्शनीय वे ऐतिहासिक स्थलों की दूरी दर्शायी गई है। विद्यालय पर फाउंडेशन ने अब तक 45 लाख रुपए खर्च किए हैं।
स्कूल की प्रधानाचार्या पुष्पा मीणा ने बताया कि स्कूल का यह बदला स्वरूप बच्चों को खूब भा रहा है। उन्होंने कहा स्कूल में करीब 20 छात्रों ने एजुकेशन एयरलाइंस की वजह से इसी साल बीच सत्र में एडमिशन लिया है। अगले सत्र में छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है बड़ी संख्या में छात्र और उनके परिजन एडमिशन के लिए संपर्क कर रहे है। निजी स्कूलों के छात्र भी घूमने और पढ़ाई का माहौल देखने आते है।
सहगल फाउंडेशन के महिपाल सिंह और उनकी टीम का कहना है कि इसको बनने में करीब छह महीने लगे हैं। इस स्कूल के विद्यार्थियों का कहना हैं कि उनको बहुत अच्छा महसूस होता हैं और ऐसा लग रहा जैसे कोई सपना देख रहे है। कभी हवाई जहाज में नहीं बैठे लेकिन अब इस एजुकेशन एयरलाइंस में बैठकर पढ़ाई करते है तो उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे हवाई जहाज में बैठे है।
स्कूल में डिजिटल लिटरेसी प्रोग्राम के तहत सौ विद्यार्थियों को कंप्यूटर की ट्रेनिंग दी जा चुकी है जिसमें संस्था के द्वारा लैपटॉप छात्रों को उपलब्ध कराए गए हैं और उन्हें इंटरनेट, मेल आई डी बनाना, लॉग इन एवं लॉग बुक, शॉपिंग करना आदि सिखाया गया है । कक्षा दसवीं में पढ़ने वाली छात्रा मनीषा वर्मा ने बताया कि उन्होंने कंप्यूटर सीख लिया है इससे अब वह कंप्यूटर के क्षेत्र में आगे बढ़कर काम करना चाहती हैं पहले उन्हें कंप्यूटर इसलिए नहीं सीख पाई कि अलवर सोलह किलोमीटर दूर था। लेकिन अब स्कूल हाईटेक हो चुकी है और शहरों की स्कूल से भी अच्छी सुविधाएं हमारे स्कूल में मिलने लगी है।