अजमेर। हिंदी सिनेमा जगत के महान पार्श्वगायक मोहम्मद रफी को रविवार को सूचना केंद्र में अजयमेरू प्रैस क्लब की ओर से गीतों भरी श्रद्धांजलि दी गई। मोहम्मद रफी को 31 जुलाई 1980 को निधन हो गया था।
कार्यक्रम में रफी द्वारा गाए गए एक से बढ़कर एक गानों की संगीतमय प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर अजमेर की आईजी मालिनी अग्रवाल ने कहा कि वे अजयमेरू प्रैस क्लब को कभी भूल नहीं पाएंगी क्योंकि इनके कार्यक्रम यादगार होते हैं।
इससे पूर्व स्वर्गीय रफी की तस्वीर पर क्लब के सदस्य और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महानगर संघ चालक सुनीलदत्त जैन, पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेश अग्रवाल, नरेंद्र चौहान ने माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलन किया। पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल ने आभार जताया।
संचालन क्लब के अध्यक्ष प्रतापसिंह सनकत, क्लब की सांस्कृतिक समिति के संयोजक रजनीश रोहिल्ला और फरहाद सागर ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में क्लब सदस्य, उनके परिजन और रफी के चाहने वाले मौजूद थे।
विजय हंसराजानी ने क्या हुआ तेरा वादा…, अकलेश जैन ने आने से उसके आए बहार…, डॉ. अशोक मित्तल ने अहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तो…, अनिल गुप्ता ने-तुम्हारी जुल्फ के साये में शाम कर लूंगा…, आभा शुक्ला ने जब जब बहार आई और फूल…, सैयद सलीम ने छू लेने दो नाजुक होटों को…, एसएन जाला ने ये रेश्मी जुल्फें ये शरबती आंखें…, राजकुमार पारीक ने तुझको पुकारे मेरा प्यार…, फरहाद सागर ने पुकारता चला हूं मैं…, एबीएल माथुर ने मुझे दुनिया वालों शराबी न समझो…, खादिम नवाज ने आसमान से आया फरिश्ता प्यार का…गीत के जरिए समा बांध दिया।
इसी तरह राजेंद्र गुंजल ने चौदहवीं का चांद हो या आफताब…, रजनीश रोहिल्ला ने अजी ऐसा मौका फिर कहां मिलेगा…, प्रदीप गुप्ता ने-मैंने पूछा चांद से…, डॉ. रमेश अग्रवाल ने हम तुमसे जुदा होके मर जाएंगे रो रो के…, हेमंत शर्मा ने साज हो तुम आवाज हूं मैं…, नरेंद्र जैन ने आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज न दे…, राजेंद्र गांधी ने मेरी मुहब्बत जवां रहेगी…, अब्दुल सलाम कुरैशी ने फलक पे जितने सितारे हैं…, गिरीराज अग्रवाल ने अहसान तेरा होगा मुझ पर दिल चाहता है… अपनी बेहतरीन आवाज में सुनाए। वरिष्ठ सदस्य पीके शर्मा ने रफी पर लिखी नज्म सुनाई।
गोपालदास नीरज को कारवां से श्रद्धांजलि
कार्यक्रम में महाकवि गोपालदास नीरज को भी श्रद्धांजलि दी गई। क्लब के अध्यक्ष प्रतापसिंह सनकत ने नीरज के लिखे और रफी द्वारा गाए गीत-कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे को बेहतरीन अंदाज में पेश कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसी गीत ने नीरज को अमर कर दिया और इसके बाद उन्होंने कभी पलट कर नहीं देखा।