अजमेर। राज्य में लॉकडाउन लागू होने के कारण धार्मिक एवं सामाजिक गतिविधियों में लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस अवधि में लक्षय तृतीय व पीपल पूर्णिमा आबूझ सावा होने के कारण जिला प्रशासन बाल विवाह रोकने के प्रति भी सतर्क है।
कलक्टर विश्वमोहन शर्मा ने बताया कि अक्षय तृतीय एवं पीपल पूर्णिमा विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त होने के कारण इन अवसरों पर बाल विवाहों के आयोजन की आशंका रहती है। इस वर्ष अक्षय तृतीय 26 अप्रेल एवं पीपल पूर्णिमा 7 मई को है। जिले में बाल विवाहों को रोकथाम के लिए भी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। कलेक्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक एवं उपखण्ड अधिकारी स्तर पर बाल विवाह रोकथाम के लिए नजर रखी जाएगी।
जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, पुलिस विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग, आंगनवाडी कार्यकर्ता, साथिन इत्यादि मानदेय कार्मियों को अपने क्षेत्र में बाल विवाह की घटनाओं पर निगरानी रखने तथा इसकी रोकथाम के लिए सूचना संबंधित पुलिस थाने अथवा तहसीलदार एवं उपखण्ड अधिकारी को देने हेतु निर्देशित किया गया है।
बाल विवाहों की रोकथाम के लिए विभिन्न विभाग यथा शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग इत्यादि के ग्राम स्तरीय कार्मिकों को प्रभावी कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही पटवारी, ग्राम सेवक, अध्यापक, अध्यापिका इत्यादि को बाल विवाह की आशंका, सूचना होने पर निकट के पुलिस स्टेशन एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को सूचना देने हेतु पाबन्द किया गया है। जिले के उपखण्ड अधिकारी एवं तहसीलदार बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के रूप में अधिसूचित हैं।
उन्होंने बताया कि कॉविड-19 महामारी के कारण 3 मई तक लॉक डाउन प्रभावी है किन्तु ऎसे क्षेत्रों एवं समुदाय विषेषों जिनमें बाल विवाह की कुप्रथा पायी जाती है पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से भी बाल विवाहों के प्रकरण में कार्यवाही करने के निर्देश प्राप्त हुए है। बाल विवाहों के आयोजनों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाते हुए आवश्यक कार्यवाही को अंजाम दिया जाएगा।