अजमेर। राजस्थान के अजमेर में अधिवक्ता परिषद राजस्थान चित्तौड़ प्रांत द्वारा आज समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता का विरोध करते हुए अतिरिक्त कलेक्टर राजेंद्र सिंह को राष्ट्रपति एवं मुख्य न्यायाधिपति सुप्रीम कोर्ट के नाम का ज्ञापन देकर विरोध दर्ज कराया।
अधिवक्ता परिषद प्रांत अध्यक्ष बसंत विजयवर्गीय ने विवाह को सभी धर्मो में सबसे पवित्र अनादिकाल से स्थापित संस्कार बताते हुए कहा कि न्यायालय ने सम लैंगिक संबंधों को पहले ही अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है लेकिन उन्हें विवाह का दर्जा देना विवाह, परिवार के संपूर्ण न्याय शास्त्र की एक अत्यंत अदूरदर्शी दृष्टि को दर्शाता है।
प्रांत महामंत्री उमरदान लखावत ने कहा कि समाज और राष्ट्र में विचार विमर्श किए बिना भारतीय जनता पर इसे लागू करने का मानदंड सर्व स्वीकार्य नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि पसंद के अधिकार को इस रूप में तरजीह देने से समाज में यौन संचारित रोग फैलने का अंदेशा रहेगा।
अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जगदीश राणा ने कहा कि जिस तरह से इस मुद्दे पर निर्णय हुआ है वह हैरान करने वाला है। समान लिंग जोड़ों के बीच विवाह को कानूनी मान्यता देना भारत जैसे देश में एक गलत कदम होगा जिसका पूरे देश व समाज पर दीर्घकालीन कुप्रभाव पड़ेगा।
समलैंगिक विवाह को मान्यता का विरोध : सर्व महिला संस्कृति रक्षा मंच ने सौंपा ज्ञापन