अजमेर। केंद्र सरकार के उपक्रम भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के कर्मचारी, अधिकारी सोमवार से विभिन्न मांगों को लेकर देशव्यापी हड़ताल पर चले गए।
बीएसएनएल एम्पलॉइज यूनियन के बैनर तले आंदोलन पर उतरे समस्त यूनियन्स एवं एसोशिएशन के संयोजक आनंद सिंह राठौड ने आज बताया कि प्रशासनिक हठधर्मिता के चलते विवश होकर हमें हड़ताल पर जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल आम जनता को सस्ती एवं सुलभ संचार सेवाएं मुहैया कराता है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी निजी मोबाईल सेवा प्रदाता अपनी सेवाएं नहीं देता क्योंकि उसे वहां से कम राजस्व मिलता है।
उन्होंने बताया कि बीएसएनएल सरकारी उपक्रम है, केंद्र सरकार के आदेशों निर्देशों के तहत कार्य करता है। हमें केंद्र सरकार के आदेश की वजह से ग्रामीण क्षेत्र में घाटे की सेवाएं देनी पड़ती हैं। हमें केंद्र सरकार के आदेशों की पालना करते हुए घाटा हो तो उसका भुगतान केंद्र सरकार को करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि बीएसएनएल को 4जी लाइसेंस नहीं दिया जा रहा है तो जनता को हम 4जी सुविधा कहां से दें। केंद्रीय संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने 4जी लाइसेंस के लिए दो वर्ष मंजूरी का आश्वासन दिया था, लेकिन लाईसेंस नहीं दिया जा रहा है। लिहाजा 4जी का लायसेंस देने और अन्य मांगों को लेकर तीन दिनों की हड़ताल पर बीएसएनएलकर्मी अधिकारी गए हैं।
हडताल के पहले दिन से ही जिले के सेवा काउंन्टर, उपभोक्ता सेवा केन्द्र, फाल्ट रिपेयर सर्विस, मार्केटिंग गतिविधियां आदि ठप हो गई। हडताल पर उतरे कर्मचारियों की मुख्य मांगों में तीसरा वेतन संशोधन लागू किए जाने, 4जी स्पेक्ट्रम आवंटन शीघ्र करने, पेंशन अंशदान वास्तविक मूल वेतन पर काटा जाए,सेकंड पीआरसी के शेष मुद्दों का निस्तारण शीघ्र हो, बीएसएनएल टावरों का रखरखाव कार्य आउटसोर्स नहीं किया जाए तथा बीएसएनएल की परिसंपत्तियां शीघ्र बीएसएनएल को स्थानांतरित की जाए। अन्यथा हडताल जारी रहेगी।