अजमेर। कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विजय जैन आरोप लगाया कि विकास का दंभ भर रही राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार राजकीय स्कूलों को निजी हाथों में सौंप कर शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकता पर ग्रहण लगा कर राजकीय संपदा की खुली लूट करवाना चाहती है।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन बुधवार को जारी बयान में सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा राजकीय विद्यालयों को निजी संस्थाओं को सौंपा जाना राजकीय संपदा की खुली लूट है। वसुंधरा सरकार द्वारा हाल ही में 300 सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर निजी संस्थाओं को सौंपने की पूरी तैयारी कर ली है।
उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से उन स्कूलों में पदस्थापित सरकारी शिक्षकों व अन्य स्टाफ के सामने विस्थापन की गंभीर समस्या उत्पन्न हो चुकी है।
कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि सरकारी शिक्षकों के विस्थापन के बाद प्राइवेट संस्थान द्वारा नियुक्त किए जाने वाले शिक्षकों के लिए निर्धारित योग्यता मापदंडो का उल्लंघन होना स्पष्ट जाहिर है।
उन्होंने कहा कि निजी संस्थाओं द्वारा यथासंभव कम वेतन पर अयोग्य शिक्षकों का नियोजन किया जाएगा जिसके चलते शिक्षा का स्तर और गिरेगा जबकि राजस्थान पिछले चार वर्षों से शिक्षक इस तक में भयंकर गिरावट रसातल तक पहुंच चुकी है।
कांग्रेस अध्यक्ष जैन का आरोप है कि शिक्षा मंत्रालय अपनी असफलताओं छिपाने के लिए सरकारी स्कूलों के नाम भांति-भांति से बदलकर जनता को मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहा है इसी के तहत पूर्व में भी एक हज़ार स्कूलों का केवल मुखोटा बदल कर उन्हें आदर्श स्कूल का नाम दे दिया गया है जबकि इन स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पूर्णता चौपट हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र के स्कूलों को पीपीपी मोड पर सौंपा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि सरकारी स्कूलों को प्रतियोगी-बिड पर प्रणाली के आधार पर व्यवसायियो को सौंपा जाना राजकोष की खुली लूट है।
कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने आरोप लगाया की राज्य सरकार द्वारा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर निजी संस्थाओं को दी जाने वाली राशि में प्रतिमाह बढ़ोतरी किए जाने से सरकारी खजाने पर वर्ष भर वित्तीय भारत बढ़ता जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस योजना का सबसे हास्यपद बिंदु है कि पीपीपी पार्टनर द्वारा मूलभूत संरचना पर किए जाने वाले समस्त खर्च का पुनर्गठन सरकार द्वारा 12 प्रतिशत ब्याज के साथ किया जाएगा।
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार द्वारा इस योजना के क्रियांवयन से पूर्व शैक्षणिक स्टाफ के पुनर्वास की कोई ठोस योजना नहीं बनाना एक घोर लापरवाही का उदाहरण है, वहीं दूसरी ओर भविष्य में नए शिक्षकों की भर्ती का कार्य अवरुद्ध हो जाने से बेरोजगारी और बढ़ेगी जो छात्र बीएड करेंगे सरकार का उनके साथ धोखा होगा।
पीपीपी पार्टनर द्वारा शिक्षकों एवं अन्य स्टॉफ का नियोजन अपने स्तर पर किए जाने से जहां एक ओर भाई भतीजावाद बढ़ेगा नहीं दूसरी और आरपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था का कद कम हो जाएगा। कांग्रेस का आरोप है कि पीपीपी मोड वाली स्कूलों पर जिला शिक्षा अधिकारी को निरक्षण एजेंसियों के रुप में स्थापित करने से शिक्षा क्षेत्र में इंस्पेक्टर राज की उत्पत्ति होगी और शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकता में भ्रष्टाचार के नए आयाम स्थापित होंगे।