अजमेर। राजस्थान का विश्व प्रसिद्ध अजमेर आज अपनी स्थापना की 909वीं वर्षगांठ मना रहा है। ग्यारहवीं सदी में स्थापित ऐतिहासिक, धार्मिक, पौराणिक दृष्टि से स्थापित अजमेर शहर आज विश्व विख्यात है। महाराज अजयराज प्रथम एवं द्वितीय ने जहां इसकी स्थापना की वहीं सृष्टि के रचियता जगतपिता ब्रह्मा और सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह ने ख्याति दिलाने में कोई कमी नहीं रखी। अतीत की धरोहरें वर्तमान में भी अजमेर के महत्व को दर्शाती हुई आज भी मौजूद हैं।
विक्टोरिया मेमोरियल, क्लाक टावर, राजपूताना संग्रहालय (म्यूजियम), रेलवे के लोको व कैरिज कारखाने जिसके जरिए देश को पहला भांप का इंजन मिला, ऐतिहासिक चर्च, स्वर्णकृति की प्रतिमूर्ति जैन नसियां, दरगाह शरीफ, आनासागर झील, फाईसागर झील, ब्रह्मा मंदिर पुष्कर, तारागढ़, ढाई दिन का झोंपड़ा, मेयो कॉलेज इस बात के गवाह है कि अतीत से आज तक अजमेर को सबने पसंद किया है और अजमेर ने भी सबको स्वीकार कर संरक्षण दिया। वर्तमान में पृथ्वीराज स्मारक, जैन नारेली तीर्थ क्षेत्र, केंद्रीय विश्वविद्यालय, किशनगढ़ हवाई अड्डा, किशनगढ़ मार्बल नगरी ने भी अजमेर को सर्वत्र ख्याति दिलाई है।
वैश्विक महामारी कोरोना के चलते अजमेर स्थापना दिवस पर कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं किया गया है लेकिन अजमेरवासियों को एहसास कराने के लिए प्रचार प्रसार का रास्ता खोला गया है। अजमेर नगर निगम प्रबंधन ने जहा मुख्य चौराहों पर पर्दे लगाकर स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी है वहीं पृथ्वीराज फाउंडेशन एवं खादिमों की संस्था अंजुमन की ओर से 909वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर अजमेर दरगाह शरीफ में मखमली चादर एवं अकीदत के फूल पेश किए तथा कौमी एकता, खुशहाली, भाईचारा एवं कोरोना बीमारी से मुक्ति के लिए दुआ की। जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) अजमेर इकाई की ओर से आनासागर झील के किनारे भजन संध्या का आयोजन किया गया।
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