अजमेर। अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी ने मुख्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह का प्रबंधन संभालने वाली दरगाह कमेटी पर आचार संहिता उल्लंघन का आरोप लगाया हैं।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन द्वारा भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि दस मार्च से लोकसभा आमचुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही आचारसंहिता प्रभावी हो गई किंतु केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी ने 807वें उर्स के दौरान खुलेआम आदर्श आचारसंहिता का उल्लंघन किया है।
पत्र में कहा कि दरगाह कमेटी एक सरकारी संगठन है जो कि 1955 के अधिनियम के तहत संचालित है। इसमें केंद्र का अल्पसंख्यक मंत्रालय नौ सदस्यों की नियुक्ति करता है जिनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि होती है और यह सभी लोग अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं जो कि सत्तासीन दल के पंजीकृत सदस्य कार्यकर्ता होते हैं।
उर्स में आठ से 15 मार्च तक दरगाह कमेटी के सरकारी गेस्ट हाउसों के कमरों में निशुल्क ठहरना एवं उनका उपभोग करना निर्वाचन आयोग की आदर्श आचारसंहिता के बिंदु संख्या 7(3) का स्पष्ट उल्लंघन है।
पत्र में कहा कि दरगाह कमेटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं उनके परिवारों के सदस्यों द्वारा न केवल दरगाह कमेटी के राजकीय वाहनों का उपयोग किया गया बल्कि राजनीतिक गतिविधियों के संचालन में भी वाहनों का अजमेर प्रवास के दौरान अनाधिकृत उपयोग किया जाता रहा जो आदर्श आचारसंहिता के बिंदु संख्या 7(1)(ख) के तहत दंडनीय अपराध है।
इसके अलावा दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों द्वारा सरकारी गेस्ट हाउस में भाजपा कार्यकर्ता एवं भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारियों की निरंतर बैठक आयोजित की गई जो आदर्श आचारसंहिता स्पष्ट उल्लघन हैं।
पत्र में कहा कि दरगाह कमेटी द्वारा अपने कोष से करीब एक लाख कलेंडर छपवाकर उर्स के दौरान देश भर से आए जायरीन में निशुल्क एवं सशुल्क बटवाएं गए जिनमें दरगाह कमेटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्यों एवं दरगाह नाजिम की फोटो छपवाई गई है जो कि सरकार के इस प्रकार राजकीय धन का राजनीतिक दलों एवं उनके सदस्यों के प्रचार प्रसार हेतु उपयोग किया गया।
पत्र में कहा कि उक्त समस्त तथ्यात्मक जानकारी दरगाह कमेटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शकील अहमद एवं जिला निर्वाचन अधिकारी, उप जिला निर्वाचन अधिकारी के संज्ञान में लाया गया किंतु इन सूचनाओं की एकतरफा अनदेखी कर दी गई।
पत्र में कहा कि शकील अहमद पर जानबूझकर अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए उक्त समस्त कृत्य अपनी देखरेख में करवाने और आचारसंहिता लागू होने के बावजूद दरगाह कमेटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्यों और उनके परिजनों को जानबूझकर सुविधा प्रदान करने के लिए वे प्रत्यक्षत: दोषी है।