अजमेर। चंद्रवरदाई स्टेडियम में दो दिवसीय मेगा जॉब फ़ेयर में शिरकत करने आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने की आस लिए पहुंचे माली समाज के कांग्रेस नेता और प्रतिनिधि शुक्रवार को अपनी बारी आने का इंतजार करते रह गए। मुख्यमंत्री के आगमन से लेकर उनके उडन खटोले की रवानगी तक उनकी गुहार ना तो प्रशासनिक अधिकारियों ने सुनी और ना ही पार्टी के आलानेताओं ने उन्हें तव्वजों दी।
इतनी किरकिरी होने के बाद रोष के स्वर फूट पडे। राजस्थान प्रदेश माली सैनी महासभा रजि के युवा प्रदेश अध्यक्ष नवीन कछावा ने अजमेर शहर कांग्रेस कमेटी के निर्वतमान ज़िलाध्यक्ष विजय जैन पर सामाजिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए इसके लिए जिम्मेदार बताया।
उन्होंने अपनी ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा है कि मेगा जॉब फ़ेयर में मुख्यमंत्री गहलोत की अजमेर यात्रा के दौरान हेलीपेड़ पर उनका स्वागत करने वालों की एक लिस्ट विजय जैन के लेटर हेड पर प्रशासन को जारी की गई थी। इस लिस्ट में माली समाज से जुडाव रखने वाले एक भी नेता, पदाधिकारी अथवा प्रतिनिधि का नाम शामिल नहीं था। ऐसे में माली समाज को जानबूझकर दरकिनार किया गया।
दीगर बात यह है कि कांग्रेस से माली समाज के कई पार्षद, शहर कांग्रेस महासचिव, सचिव, पूर्व युवा कोंग्रेस अध्यक्ष एवं युवा कांग्रेस प्रदेश पदाधिकारी, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष, अकादमी व आयोग के सदस्य पद पर नियुक्त हैं।
कछावा ने आरोप लगाया कि माली समाज के कांग्रेसी पदाधिकारियों की अनदेखी करना अत्यधिक निंदनीय है। माली समाज के मनोनीत पार्षद ताराचंद गहलोत, अजमेर शहर कांग्रेस के पूर्व महासचिव महेश चौहान, प्रदेश माली महासभा युवा अध्यक्ष नवीन कच्छावा, हेमराज सिसोदिया, हेमराज खारोलिया, मनोनीत पार्षद सुनीता चौहान, भूपेन्द्र चौहान, हनिश मारोठिया आदि मौके पर मौजूद होने के बावजूद मुख्यमंत्री का स्वागत करने को तरस गए।
माली समाज को प्रतिनिधित्व देने की मांग
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का चन्द्रवरदाई नगर में बनाए गए अस्थायी हेलीपेड पर माली समाज के कांग्रेस नेता महेश चौहान ने मोती की माला पहनाई तथा माली समाज को प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग करते हुए ज्ञापन सौपा।
महेश चौहान ने बताया कि पिछले 50 वर्षाें के इतिहास में माली सैनी समाज को अजमेर संभाग में विधानसभा की 29 सीटों पर माली समाज के एक भी व्यक्ति को कांग्रेस पार्टी ने न तो चुनाव में प्रत्याशी बनाया और ना ही कभी जिलाध्यक्ष। इतना ही नहीं बल्कि किसी बोर्ड, निगम आदि के चेयरमेन बनने का अवसर भी नहीं दिया गया। जबकि अजमेर संभाग में माली सैनी समाज के मतदाताओं की निर्णायक भूमिका में रही है।
उधर विपक्षी दल ने माली सैनी समाज को विधानसभा प्रत्याशी बनाया, नगर निगम, नगर पालिका, विभिन्न बोर्ड आदि में मुखिया बनने का अवसर दिया। परिणामतः माली सैनी समाज का झुकाव विपक्षी दल की ओर अधिक रहता है। अजमेर में ही माली सैनी समाज के ऐसे कई कांग्रेस समर्थित लोग हैं जिन्होंने पूरा जीवन पार्टी की सेवा में लगा दिया। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें भी कभी प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्रदान नहीं किया जिससे माली समाज में कांग्रेस के प्रति मोह कम होता जा रहा है।
ज्ञापन में यह मांग की गई कि अजमेर संभाग में विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण के दौरान में माली समाज को तवज्जों दी जाए, जिलाध्यक्ष, बोर्ड, निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण का चेयरमेन बनाया जाए ताकि माली समाज में कांग्रेस की विश्वसनीयता बढे।
अशोक गहलोत ने मेगा जॉब फेयर में चयनित अभ्यर्थियों को सौंपे नियुक्ति पत्र