अजमेर। राजस्थान के अजमेर में विश्व प्रसिद्ध सूफी संत मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में सोमवार को बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने के साथ ही ख्वाजा का 809वां सालाना उर्स की शुरुआत हो जाएगी।
झंडे की रस्म अदा करने भीलवाड़ा से गौरी परिवार अजमेर पहुंच गया है। यह परिवार परंपरागत तरीके से सोमवा सायं अस्र की नमाज के बाद 85फुट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर शानोशौकत से झंडा चढ़ाकर उर्स की शुरुआत करेगा। हालांकि रजब माह का चांद दिखाई देने पर उर्स विधिवत रूप से 13 अथवा 14 फरवरी को शुरू होगा। चांद रात 12 फरवरी की मानी जा रही है और अगले दिन ही तड़के छह दिवसीय उर्स के दौरान जन्नती दरवाजा भी खोल दिया जाएगा।
अजमेर के लिए भीलवाड़ा से आए फखरुद्दीन गौरी जो कि लाल मोहम्मद गौरी के पोते है। सैयद मारुफ अहमद नबीरा मुतवल्ली, सैयद असरार अहमद की सदारत में झंडे की रस्म पूरी करेंगे जो कि रोशनी से पहले पूरी कर ली जाएगी। इस दौरान दरगाह के पीछे पीर साहब की पहाड़ी से पच्चीस तोपों की सलामी भी दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि अजमेर दरगाह शरीफ पर सालाना उर्स के मौके पर झंडा चढ़ाने की रस्म गौरी परिवार 1944 से पूरी कर रहा है और झंडे के साथ ही उर्स का आगाज हो जाता है।