अजमेर। राजस्थान में अजमेर स्थित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का प्रबंध संभालने वाली दरगाह कमेटी ने दरगाह में एक नया नवाचार किया है।
दरगाह कमेटी ने देश विदेश की ऑनलाइन (कमाई) के लिए दरगाह में रखें हरे रंग के दान पेटियों के बक्से पर ‘क्यूआर कोड’ स्थापित किया है जिसके जरिए अकीकदमंद देश विदेश के विभिन्न हिस्सों से घर बैठे ही नजराना दे सकेंगे।
खास बात यह है कि इस हरे रंग की पेटियों पर दरगाह कमेटी का ही अधिकार है लिहाजा बार कोड के जरिए प्राप्त होने वाली ऑनलाइन नजराना राशि भी दरगाह कमेटी की ही होगी।
दरगाह कमेटी की इस नई पहल ने खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यदजादगान तथा सैय्यद शेखजादगान में खलबली पैदा कर दी है और उन्होंने इस पर कड़ा एतराज व्यक्त किया है।
दरगाह नाजिम अशफाक हुसैन ने बार कोड की बात को स्वीकार करते हुए कहा कि वर्तमान युग ऑनलाइन भुगतान का युग है। ऐसे में दरगाह कमेटी ने अकीदतमंदों की सुविधा के लिए एक एडिशनल फीचर विकसित किया है। यदि किसी का एतराज आएगा तो उस पर विचार किया जाएगा।
इधर, अंजुमन ने भी मन बना लिया है कि दरगाह कमेटी यदि इस नई व्यवस्था को वापस नहीं लेती है तो वे भी दरगाह में रखी अपने हक वाली पीली दान पेटियों पर क्यूआर कोड (बार कोड) लगवाएंगे ताकि उन्हें भी उनके हक का नजराना मिल सके।
उल्लेखनीय है कि दरगाह में अकीदतमंदों द्वारा चढ़ावे का विवाद वर्षों चलने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर हाईकोर्ट के आदेशों के तहत हरे रंग की पेटियां दरगाह कमेटी के हक की तथा पीले रंग की पेटियां खादिमों के हक की है। इसके अलावा एक हिस्सा दरगाह दीवान को भी जाता है।