अजमेर। राजस्थान में अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में बुलंद दरवाजे के पास अकबर द्वारा बनवाई गई छोटी एवं बड़ी देगो का ठेका इस बार 72 दिनों के लिए छोड़ा गया है। यह ठेका अगले साल फरवरी महीने में आने वाले ख्वाजा साहब के 808वें सालाना उर्स पर झंडे की रस्म के दिन तक के लिए छोड़ा गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अंजुमन सैयद जादगान एवं अंजुमन शेखजादगान के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में यह ठेका एक करोड़ 62 लाख पांच हजार रुपए में छोड़ा गया। दरगाह में आने वाले अकीदतमंदों एवं जायरीनों के बीच तवर्रुक (प्रसाद) तक्सीम कराने के उद्देश्य से ठेका छोड़ा जाता है। इन देगों में मेवा युक्त चावल पकवाकर आने वाले जायरीनों में बतौर लंगर वितरित किया जाता है जिसका लाभ दरगाह क्षेत्र में मौजूद हजारों लोगों को मिलता है।
माना जाता है कि ख्वाजा साहब गरीबों एवं फकीरों के प्रति बहुत ही दयालु रहे थे। यही कारण है कि देगों में चावल पकवाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इसी परंपरा को निभाते हुए अंजुमन कमेटी ने यह नया ठेका छोड़ा है और 808वें सालाना उर्स के दौरान पंद्रह दिनों के लिए नया ठेका अगले वर्ष उर्स से पहले एक बार फिर छोड़ा जाएगा।