अजमेर। राजस्थान में अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख, वंशानुगत सज्जादानशीन दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ने कहा है कि हिंसा के अपराधी किसी भी धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते।
अजमेर दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने आज एक बयान में कहा कि ख्वाजा साहब के गुरु हजरत ख्वाजा उस्मान हारूनी के उर्स मुबारक के मौके पर अजमेर दरगाह शरीफ से देश के नाम अमन एवं शांति का संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि पैगम्बर मुहम्मद साहब ने कहा कि दान और उपवास से भी बेहतर लोगों के बीच शांति और अच्छे संबंध बनाए रखना होता है क्योंकि संघर्ष और बुरी भावनाएं मानव जाति को नष्ट कर देती है।
उन्होंने कहा कि इस्लाम हिंसा की निंदा करता है और अहिंसा, सहिष्णुता, सद्भाव और परस्पर सम्मान को बढ़ावा देता है। कुरान के अनुसार शांति, शांतिपूर्ण साधनों से ही प्राप्त की जा सकती है।
दरगाह दीवान ने कहा कि आज सोशल मीडिया हिंसा करने वालों के लिए वरदान साबित हुआ है, इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल फेक न्यूज और गलत सूचना फैलाने के लिए किया जा रहा है जिससे हिंसा तेज हो गई है।
सोशल मीडिया के जरिए गलत सूचना देकर लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने सभी से अपील की कि सोशल मीडिया पोस्ट और वीडियो को आंख मूंदकर फॉलो और शेयर न करे।
दरगाह प्रमुख ने कहा कि इस्लाम एक सुंदर मजहब है जो शांति, सहयोग और प्रेम को बढ़ावा देता है। दुर्भाग्य यह है कि कतिपय लोग इस्लाम के संदेश को तोड़ मरोड़कर पेश कर रहे हैं।
यहां तक की इस्लाम के अनुसार आतंकवादी सही मायने में मुसलमान नहीं है। इस्लाम मजहब के नाम पर हिंसा को कभी जायज नहीं ठहराता और मै हर तरह की हिंसा का कड़ा विरोध करते हुए सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग करता हूं।