Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
ajmer dargah dewan syed zainul abedin ali khan on eid ul Adah - आतंकवाद को इस्लाम से नहीं जोडा जाए : दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन - Sabguru News
होम Rajasthan Ajmer आतंकवाद को इस्लाम से नहीं जोडा जाए : दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन

आतंकवाद को इस्लाम से नहीं जोडा जाए : दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन

0
आतंकवाद को इस्लाम से नहीं जोडा जाए : दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन
Terrorism not linked to Islam - Diwan Syed
Terrorism not linked to Islam - Diwan Syed
Terrorism not linked to Islam – Diwan Syed

अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादा नशीन दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा है कि आतंकवाद के साथ इस्लाम का नाम लेना मुसलमानों का अपमान है ऐसा करने वाले न सिर्फ इस्लाम की शिक्षाओं और उसके इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है बल्कि वह लोग इस्लाम धर्म को आम लोगों के बीच बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं।

अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दरगाह दीवान ने ईदुल अजहा के मौके पर जारी बयान में यह बात कही और कहा कि ईदुल अजहा त्याग, आत्म इच्छा का समर्पण और आज्ञाकरीता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है लोगों को इसे अपने जीवन में अपनाने की आवश्यकता है क्यों कि इस्लाम शांति भाईचारा मिलनसार से जीवन यापन करने की शिक्षा देता है।

इस्लाम के अंतिम पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने बिल्कुल स्पष्ट संदेश दिए हैं कि इस्लाम धर्म के मानने वाले अनुयाई इस्लाम के उपदेशों नियमों की अनुपालना तो पूरे मनोयोग के साथ करें पर किसी दूसरे धर्म के बारे में किसी प्रकार का अनर्गल प्रचार या असम्मान की दृष्टि नहीं रखें।

उन्होंने बताया कि ऐसे में यदि कोई इस्लाम धर्म के विरुद्ध ऐसे अनर्गल विचार प्रकट करता है कि इस धर्म में कट्टरता अथवा आतंकवाद को प्रोत्साहन दिया जाता है तो वह कतई गलत है क्योंकि इस्लाम धर्म के कमोबेश एक लाख चौबीस हजार पैगंबरों ने केवल मात्र शांति का संदेश दिया है इसलिए आतंकवाद का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है यदि कोई इस्लाम को आतंकवादी मजहब करार देता है तो वह केवल इस धर्म से घृणा का इजहार करते हैं।

उनका कहना है कि जहाँ आतंकवाद है वहां इस्लाम का नामो निशा भी नहीं है। हर मुस्लिम अपने इस्लाम को अच्छे से समझे ताकि हर उठते हुए फित्तने का जवाब डट कर दे सके और ग़ैर मुस्लिमों के सामने अपने इस्लाम की सही तस्वीर व हकीक़त को पेश करें।