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ajmer dargah dewan syed zainul abedin ali khan speech in khwaja garib nawaz urs-मुस्लिम शिक्षा को हथियार बनाएं : दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन - Sabguru News
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मुस्लिम शिक्षा को हथियार बनाएं : दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन

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मुस्लिम शिक्षा को हथियार बनाएं : दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन
ajmer dargah dewan syed zainul abedin ali khan
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अजमेर। अजमेर स्थित हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती दरगाह के प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने मुसलमानों से एकजुटता पर जोर देते हुए शिक्षा को हथियार बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि इतिहास गवाह है हिंदुस्तान में इस्लाम खानकाहों (दरगाह) के बूते फैला है। दरगाह मुल्क में अमन और एकता की गवाह है। मुठ्ठी भर आतंकवादी इस्लाम की गलत तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।

दरगाह दीवान आबेदीन अपने पूर्वज सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 807वें सालाना उर्स के समापन की पूर्व संध्या पर देश की प्रमुख दरगाहों के प्रमुखों एवं धर्मगुरुओं की वार्षिक सभा को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती जैसे सूफियों की बदौलत इस्लाम फैला है ख्वाजा गरीब नवाज ने हर मजहब और मिल्लत के मानने वालों को रास्ता दिखाया। सूफी औलिया ही इस मुल्क में इस्लाम की पहचान हैं। बैठक में देश में तेजी से फैल रहे धार्मिक और सामाजिक नफ़रत के माहौल पर चिंतन किया गया।

उन्होंने कहा कि इस्लाम हर रूप में चरमपंथ के विरूद्ध है, चाहे उसका उद्देश्य कुछ भी हो। भारत का हर समाज व धर्म इस समय दोहरे दबाव से गुजर रहे हैं एक तरफ भारत के सीमांत क्षेत्रों में पाकिस्तान द्वारा लगातार की जा रही आतंकवाद की गैर इस्लामी हरकतों से लोग धार्मिक तौर पर दुख महसूस कर रहे हैं तो दूसरी ओर माॅबलिचिंग से देश के अंदर हर समाज कट्टरवाद के निशाने पर हैं।

ख़ास तौर से देश में मुस्लिम विरोधी विचारधारा वाले संगठनों ने मुसलमानों के खिलाफ नफरत का एक व्यवस्थित आंदोलन चला रखा है। प्रचार प्रसार माध्यम तथा सोशल मीडिया पर इस्लाम और मुसलमान विरोधी भावनाएं व्यक्त की जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में एक दूसरे के प्रति विकसित हो रही घृणा देश के विकास के बजाय विनाश का प्रतीक है। धर्मो और समाज में पनप रही आपसी घृणा केवल समाज के ताने-बाने को ही छिन्न-भिन्न नहीं करती है, बल्कि इसका राष्ट्र की अर्थव्यवस्था, उसके विकास एवं अंतर्राष्ट्रीय छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

आज वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय वित्त एवं व्यापार व्यवस्था में किसी भी देश की छवि का बहुत महत्त्व है। यह छवि ही अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को उनकी पूंजी के सुरक्षित होने को लेकर आश्वस्त करती है। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में जहां गरीबी, बढ़ती जनसंख्या और भूख इत्यादि राष्ट्रीय चिंता एवं चर्चा के विषय होने चाहिएं, वहां खान-पान के तरीके राजकीय चुनाव का प्रमुख मुद्दा बनकर उभर रहे हैं।

इससे भी दीर्घकाल में राष्ट्र की विकास यात्रा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे अंततः समाज में वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील सोच को विकसित करने की कोशिशों को भी धक्का लगता है।