अजमेर। राजस्थान में अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए एंटी वायरस नैनो टेक्नोलॉजी के जरिए कोविड कोट से शील्ड कवर कराया गया है जिससे दरगाह आगामी नब्बे दिनों के लिए सुरक्षित रह सकेगी।
दरगाह कमेटी के कार्यवाहक नाजिम डॉ. मोहम्मद आदिल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस दौरान दरगाह परिसर को सैनेटाइज नहीं भी कराया जाता है तो भी वायरस का कोई असर नहीं होगा। कोरोना के चलतते साढ़े पांच महीनों से भी ज्यादा दिनों बाद गत सात सितंबर को जाययरीनों के लिए खोली गई दरगाह में अब जायरीनों का आना शुरू हो गया है।
ऐसे में दरगाह कमेटी का प्रयास है कि दरगाह परिसर को पूरी तरह स्वच्छ और सुरक्षित रखा जाए। इसके चलते ही दरगाह को कोविड कोट कराकर सुरक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी की पहली प्राथमिकता कोविड नियमों की पालना के साथ आने वाले अकीदतमंदों को सुरक्षा प्रदान करना है।
दरगाह में फूल एवं चादर पेश करने की अनुमति मांगी
अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह से जुड़े खादिमों ने जिलाकलक्टर प्रकाश राजपुरोहित को आज ज्ञापन सौंपकर दरगाह में फूल एवं चादर पेश किए जाने की अनुमति मांगी है।
अंजुमन यादगार शेखजादगान के सचिव शेखजादा एहतेशाम मोहम्मद चिश्ती ने कहा कि कोविड-19 के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार के निर्देश पर सात सितंबर से धार्मिक स्थल खोल दिए गए और नियमों की पालना भी की जा रही है, लेकिन दरगाह खोले जाने से एक दिन पहले प्रशासन के साथ बैठक में जल्द ही फूल एवं चादर पेश करने की अनुमति की सरकार से सहमति लेने की बात तय हुई थी।
उन्होंने कहा कि फिलहाल दरगाह शरीफ आने वाले अकीदतमंदों की हाजरी बिना फूल एवं चादर के अधूरी है। इसके बिना वे श्रद्धा प्रदर्शित नहीं कर पाते। कई तो अपने दरबारी वकीलों (खादिम) से भी अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, लिहाजा जिस तरह सरकार ने खाद्य सामग्री उत्पादन की अनुमति दे रखी है उसी तरह दरगाह शरीफ में फूल-चादर के लिए भी अनुमति प्रदान की जाए।