अजमेर। राजस्थान के अजमेर में आगामी दो फरवरी को दिल्ली स्थित ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह महरौली से यहां दरगाह शरीफ पहुंचने वाला कलंदरों का जत्था छड़ी पेश करेगा।
अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 810वें सालाना उर्स का पैगाम देता हुआ 500 से ज्यादा सदस्यों का जत्था एक फरवरी की शाम को किशनगढ़-अजमेर के बीच गगवाना पहुंचेगा और रात्रि विश्राम के बाद दो फरवरी की सुबह सी गगवाना से रवाना होकर अजमेर में गंज घाटी स्थित बाबा चिल्ला पर पड़ाव देगा। यही जत्था सायं पांच बजे अजमेर दरगाह में झंडे-निशान पेश करेगा।
परंपरागत तरीके से कलंदर लोग जुलूस के रूप में दरगाह पहुंचते हैं लेकिन देखना होगा कि इस बार कोरोना नियमों की गाइडलाइन की रोशनी में जुलूस संभव हो पाता है अथवा नहीं। बताया जा रहा है कि महरौली से छड़ी लेकर 500 से ज्यादा कलंदरों का जत्था पैदल रवाना हो चुका है।
दिल्ली से अजमेर 450-500 किलोमीटर का पैदल सफर करते हुए दो फरवरी की सुबह अजमेर आएगा। इस जत्थे मे देश के विभिन्न राज्यों के कलंदर शामिल हैं और वे ख्वाजा साहब के जयघोष करते हुए अजमेर की ओर बढ़ रहे हैं।
यहां गौरतलब है कि सर्वधर्म एकता समिति कलंदरों के लिए दिल्ली से अजमेर तक की सारी व्यवस्थाएं जुटाती है। ग्यारह बारह दिन का सफर ख्वाजा के दीवानों कलंदरों के अजमेर पहुंचते ही उर्स के विधिवत आगाज की पहचान होगी।
इससे पहले 29 जनवरी को भीलवाड़ा का लाल मोहम्मद गौरी परिवार दरगाह के 85 फीट उंचे बुलंद दरवाजे पर परंपरागत तरीके से उर्स का झंडा चढ़ाएगा। समिति के अध्यक्ष सैयद खुशतर चिश्ती जो कि खादिम भी है ने बताया कि छड़ियाँ पेश करने के साथ ही छह दिवसीय उर्स की शुरुआत होगी और धार्मिक रस्मों का आगाज हो जाएगा।