अजमेर। अजमेर में हाल ही में उपचुनावों में हुई करारी हार तथा 2018 के विधानसभा तथा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले अपना घर संभालने और संगठन को मजबूत करने में जुटी बीजेपी के लिए देहात प्रबुद्धजन सम्मेलन में नारीशक्ति का न जुटना खतरे की घंटी माना जा रहा है। होटल पेराडाइज में आयोजित सम्मेलन में गिनी चुनी महिलाओं ने शिरकत की। इससे पहले शहर बीजेपी के जवाहर रंगमंच में सम्मेलन में भी पर्याप्त भीड न जुटने के कारण फीका रहा।
प्रदेश आलाकमान ने हर जिले की शहर और देहात ईकाई को प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन आयोजित करने के निर्देश दिए हुए हैं। इन सम्मेलनों के जरिए पार्टी खुद की स्थिति को आंकने और उसके आधार पर चुनावी रणनीति बनाने की कवायद कर रही है। इन सम्मेलनों के लिए पार्टी ने बाकायदा सभी मोर्चों, नेताओं, वरिष्ठ पदाधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के कार्यकर्ता की ताकत को पूरी तरह झोंक दिया था।
पूरी ताकत लगाने और पसीना बहाने के बाद भी प्रबुद्धजन सम्मेलन के नाम पर जो भीड जुटी उसमें अधिकतर पार्टी के कार्यकर्ताओं की ही रही। नारीशक्ति के नाम पर गाहे बगाहे सक्रिय नजर आने वाली पार्टी की महिला कार्यकर्ता और, जिला प्रमुख वंदना नोगिया, देहात क्षेत्र से एकमात्र मसूदा विधायक सुशील कंवर पलाडा भी नजर नहीं आईं।
नारीशक्ति के नाम पर भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष इंदु शर्मा, पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना, ब्यावर से मंडल उपाध्यक्ष तारा सोनी, ब्यावर कार्यालय मंत्री ललिता जालान, महामंत्री सीमा अखावत, किशनगढ से पालिका की पूर्व चेयरमेन गुरमाला पाटनी, चांदा देवी वैष्णव, सुशीला शर्मा, पुष्पा शर्मा, उर्मिला कुमावत, अर्चना बोहरा, अर्चना जिंदल, मोनिका जैन समेत गिनी चुनी बीजेपी महिला कार्यकर्ता मौजूद रहीं।
रविवार को भाजपा देहात की ओर से जयपुर रोड स्थित होटल पेराडाइज में प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन आयोजित किया गया। यूं तो देहात के 37 मंडलों के करीब 500 प्रबुद्ध नागरिक के सम्मेलन में आने का दावा किया गया लेकिन इसमें नारीशक्ति की संख्या कितनी रही, इस सवाल के जवाब में बीजेपी नेता कन्नी काट गए।
आजादी के समय देश के सामने सच छुपाया गया : शर्मा
सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यवक्ता पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान नई दिल्ली के निदेशक महेश शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार देश को 2014 में भारत माता की जय बोलने वाले लोगों का पूर्ण बहुमत सदन में मिला है जिससे हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
शर्मा ने कहा कि समाज की चौपाल संस्कृति को हमने कमजोर किया है क्योंकि चौपाल संस्कृति में दो विचारधाराओं का टकराव आज के दौर में बढ़ गया है। दीनदयाल उपाध्याय ने लोकतंत्र का भारतीयकरण पर जोर दिया था उन्होंने कहा था सिद्धांत हीन मतदान सिद्धांत हीन राजनीतिक का जनक है।
2014 का चुनाव इसलिए खास बन गया क्योंकि भारत माता की जय बोलने वालों को आजादी के पश्चात पहली बार जनता का अधिकाधिक प्यार और समर्थन प्राप्त हुआ और देश की संसद में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा सरकार बनी।
भारत के विखंडन का बीज तो अंग्रेजों ने आजादी से पूर्व ही बो दिया था। अंग्रेजों ने तब के नेताओं से कहा कि तुम्हारा देश जाति, संप्रदाय, धर्म में बंटा हुआ है। इस देश का शासन कैसे चला पाओगे। अंग्रेजों ने मजहब के नाम पर भारत को विभाजित करने का षड्यंत्र रचा जिसमें वे कामयाब भी हो गए।
तत्कालीन नेताओं की सत्ता लोलुपता के चलते भारत दो टुकड़ों में बंट गया। आजादी के बाद राजनीतिक पार्टियां ने वोटों का ध्रुवीकरण करना शुरू कर दिया। कोई धर्म की राजनीति कर रहा है तो कोई भाषा की राजनीति। जनता इनसे उब गई और भारत माता की जय बोलने वाले के रूप में राजनीति करने वाली बीजेपी को देश की बागडोर सौंपी।
केन्द्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ध्रुवीकरण करने वाली पार्टियां इस चिंता में डूबी हुई हैं कि भारत माता की जय बोलने वाले लोगों को देश की जनता इस प्रकार चुनने लगी तो भाषावाद, क्षेत्रवाद, धर्मवाद व ध्रुवीकरण की राजनीति लुप्त हो जाएगी। इसीलिए विपक्षी पार्टियां 2019 के चुनाव में मोदी को रोकने के लिए एक हो रहे हैं।
आजादी के समय देश के सामने सच छुपाया गया, गलत तरीके से इतिहास पढ़ाया गया। जबकि सच यह है कि यह ऋषि-मुनियों की भूमि है। तत्कालीन सरकारों ने भारत को सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा समझा। देश के बंटवारे के समय हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य का जो बीज बोया गया था उसी से कश्मीर समस्या उत्पन्न हुई।
कश्मीर समस्या के लिए डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पंडित जवाहरलाल नेहरु के मंत्रिमंडल को त्याग दिया तथा और अपने बलिदान तक कश्मीर के लिए संघर्ष करते रहे। आज कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
शर्मा ने वामपंथियों की संकीर्ण सोच पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि देश में 70 साल से एकेडमिक संस्थानों और अनुसंधान केंद्रों में वामपंथियों ने जहर घोलने का काम किया है। किसी भी पुस्तकालय और बड़े संस्थान में जो साहित्य हमें पढ़ने को मिलता है उसमें से अधिकतर में वामपंथियों का गुणगान है। वामपंथियों की भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वाली सोच का जीता जागता उदाहरण हाल ही जेएनयू में लगाए गए गए नारे भारत तेरे टुकड़े होंगे हजार से उजागर हो गई।
शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी के समारोह में शिरकत नहीं की क्योंकि उनका मन अंदर से व्यथित था, उन्होंने देश की जनता को वचन दिया था कि पहले “मेरा देह बंटेगा फिर मेरा देश बंटेगा” देश एक रहेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं, इसीलिए गांधी ने आजादी के प्रथम समारोह का बहिष्कार कर दिया था।
जब जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे उस समय चारों तरफ अराजकता का माहौल था। जगह जगह दंगे हो रहे थे, भारत और पाकिस्तान की सीमा पर गोलियां चल रहीं थीं। माताओं और बहनों की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था।
वहीं दूसरी ओर 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे तो पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव सहित सभी पड़ोसी देशों से मेहमान शामिल हुए। भारत अब चीन की आंखों में आंखें डालकर बात करने में सक्षम हुआ है।
शर्मा ने कहा कि 2018 में भी राजस्थान का परिणाम 2019 के चुनाव को ताकत देने वाला होगा क्योंकि देश के साथ प्रदेशों में भी राष्ट्रवादियों की सरकार जरूरी है।
कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष सारस्वत ने अतिथितियों का परिचय करवाया व कार्यक्रम की प्रस्तावना पर डालते हुए कहा कि प्रबुद्ध नागरिक अपनी सोच से सकारात्मक माहौल तैयार करने में बडी भूमिका अदा करते हैं साथ ही समाज में जागृति लाने में अहम भूमिका निभाते है। मोदी सरकार के आने के बाद भ्रष्टाचार में कमी आई है। काम पारर्शिता से हो रहे हैं। देश में मां बहनों के स्वाभिमान की चिंता कर मोदी सरकार ने हर गांव के घरों में शौचालय बनवाकर नारीशक्ति को सम्मान दिलवाया है।
मुख्यवक्ता डॉ महेश शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण दवे, जिलाध्यक्ष सारस्वत, प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन के संभाग प्रभारी शिवशंकर हेडा, संसदीय सचिव शत्रुघ्न गौतम, सुरेश सिंह रावत, किशनगढ विधायक भागीरथ चौधरी, ब्यावर विधायक शंकरसिंह रावत, पूर्व सांसद रासासिंह रावत, पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना, पुखराज पहाडिया, संयोजक पवन जैन समेत अजमेर देहात के सभी मार्चा अध्यक्ष कार्यक्रम में उपस्थित थे।