अजमेर। अजमेर के डीजल लोको एवं वैगन कारखाने में शनिवार को माहौल कुछ अलग हटकर था। 1876 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक अनेक तकनीकी ओर सांस्कृतिक परिवर्तनों के साक्षी इस कारखाने में एक तरफ विशालकाय मशीनें और क्रेनों का शोर शराबा था तो दूसरी तरफ देशभक्ति गीत गुनगुनाते आर्केस्ट्रा की सुरीली आवाज।
काम करते वर्कर्स के बीच बच्चों-महिलाओं और दर्शक पुरुषों की चहल-पहल थी। आमलोग पहली बार कारखाने में मेहमान बनकर आए और वहां की रोमांचक गतिविधियों को देखकर अचंभित रह गए। मौका था रेल मंत्रालय के निर्देश पर आयोजित ‘धरोहर पदयात्रा’ का।
मुख्य कारखाना प्रबंधक (स्थापन) केसी मूंदड़ा ने बताया कि अजमेर में रेलवे ने डीजल लोको एवं वैगन कारखाने की स्थापना वर्ष 1876 में की थी। अपनी स्थापना से लेकर अब तक इसने करीब 144 वर्षों में कई तकनीकी एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों को देखा तथा एतिहासिक स्मृतियों को संजोकर रखा।
इन्हीं स्मृतियों को अजमेर के सामान्यजन से साझा करने के उद्देश्य से आज पूर्वान्ह ग्यारह बजे गवर्नमेंट कॉलेज के सामने लाल फाटक स्थित डीजल लोको एवं वैगन कारखाने में धरोहर पदयात्रा का आयोजन किया गया।
कारखाने के मुख्य गेट पर रखा गया देश का पहला आयातित भाप इंजन जब धुंआ छोड़ते हुए सिटी बजाने लगा तो लोगों का मन डोल उठा। इस इंजन के पहिए बकायदा घूमने लगे। लोग इसे देखकर खुश हो उठे। यह इंजन रेलवे के इंजीनियरों ने चंद दिनों पहले ही पुनः चालू किया है।
कारखाने में प्रवेश करते ही एक ओर कबाड़ से बनाई गई कलाकृतियों को देखकर लोग दंग रह गए। एक हॉल में रेलवे के पुरातन कलपुर्जे, नक्शे, सीलें, पेपर कटिंग मशीन, क्रोकरी, माइक्रोस्कोप, ढलाई के पुर्जों से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस कारखाने में बनाए गए तोप के गोले तक प्रदर्शित किए गए।
भीतर वर्कशॉप में डीजल इंजन और मालगाड़ी वैगन की मरम्मत का लाइव नजारा देखा। मालगाड़ी के डिब्बे को इधर से उधर ले जाने के लिए इंजन जैसी ही विशालकाय ट्रॉली व अन्य उपकरण देख लोगों में जबरदस्त उत्साह भर गया।
मूंदड़ा ने बताया कि इस अवसर पर देश के प्रथम आयातित शंटिग भाप इंजन आईएसआर 421 का परिचालन करके दिखाया गया। ऐतिहासिक घड़ी सहित कई विरासतें दिखाई गई। मालूम हो कि यह कारखाना विशेष मौकों पर ही आमजन के लिए खोला जाता है। लोग बेसब्री से इस मौके का इंतजार करते हैं।