अजमेर। जिला बार एसोशिएशन की साधारण सभा की सोमवार को आहुत बैठक मेंं बार कौंसिल आॅफ इंडिया की ओर से 5 सितंबर को जारी पत्र पर विचार विमर्श किेया गया। सभी सदस्यों ने कौंसिल के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए दमन के खिलाफ पुरजोर तरीके से आवाज उठाने का फैसला किया। दिनभर न्यायिक कार्य का बहिष्कार भी किया।
सर्व सम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 28 मार्च को फौजदारी अपील 470 2018 कृष्णकांत तामरेकर बनाम मध्यप्रदेश राज्य में जो निर्णय दिया गया है वह बार एसोसिएशन, बार कौंसिल को हडताल, कार्य बहिष्कार एवं कोर्ट में प्रवेश पर रोके जाने आदि पर रोक लगा दी गई है।
न्यायालय का यह कदम संविधान में नागरिकों को प्रदत्त मूलभूत लोकतांत्रिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है तथा वकील के भी मूलभूत हकों पर सीधा हमला है। बार संघ मांग करती है कि मूलभूत अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएं।
वकील समुदाय के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन के खिलाफ किसी भी प्रकार का कानून अथवा आदेश पारित नहीं किया जाए। क्योंकि किसी प्रकार के दम, अन्याय एवं सरकार की असंवैधानिक नीतियों के विरुद्ध हडताल करना वकीलों का मौलिक अधिकार है, इसमें कोई कटौती स्वीकार नहीं की जाएगी।
बार की बैठक के बाद वकीलों ने बार अध्यक्ष अजय त्रिपाटी तथा सचिव समीर काले के नेतृत्व में सेंशन कोर्ट से लेकर अजमेर कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली तथा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, विधि मंत्री तथा मुख्यमंत्री के नाम अतिरिक्त कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने वालों में बार उपाध्यक्ष दीपक शर्मा, राहुल भारद्वाज, राजेन्द्र सिंह राठौड, राजेश ईनाणी, जितेन्द्र खेतावत, चन्द्रभान राठौड, ब्रजेश पांडे, अनिल उदय समेत बार सदस्य तथा अधिवक्तागण मौजूद रहे।