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ajmer literature festival 2018 : protest against naseeruddin shah-अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल का उदघाटन नहीं कर पाए नसीरुद्दीन शाह - Sabguru News
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अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल का उदघाटन नहीं कर पाए नसीरुद्दीन शाह

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अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल का उदघाटन नहीं कर पाए नसीरुद्दीन शाह

अजमेर। फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह अपने विवादित बयान के हुए विरोध के कारण शुक्रवार को यहां आयोजित साहित्य सम्मेलन में भाग नहीं ले पाए। सम्मलेन के उद्घाटन सत्र में भाग लेने अजमेर आए शाह के विरोध के चलते सम्मेलन आयोजकों ने शाह के सम्मेलन में भाग नहीं लेने की घोषणा की और इसके बाद शाह ने सम्मेलन में भाग नहीं लिया।

भारतीय जनता युवा मोर्चा, विश्व हिन्दू परिषद तथा अन्य हिन्दूवादी संगठनों के मोर्चा खोलने तथा विरोध प्रदर्शन के चलते अजमेर आने के बाद भी नसीरुद्दीन शाह आयोजन स्थल पर नहीं पहुंचे।

दोपहर करीब डेढ बजे से ही बडी संख्या में शाह का विरोध करने के लिए आयोजन स्थल पर जमावडा होने लगा। प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की तथा बीच सडक पर टायर फूंका। आक्रोशित लोगों ने फेस्टिवल स्थल के बाहर लगे होर्डिंग्स भी फाड डाले।

पुलिस की मौजूदगी को धता बताते हुए कार्यक्रम पांडाल तक पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने आयोजकों को चेतावनी दी कि शाह को उदघाटन नहीं करने दिया जाएगा। इसके बाद आयोजकों ने भरोसा दिलाया कि शाह को नहीं बुलाया जा रहा है।

भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा और हिन्दूवादी संगठनों से जुडे कार्यकर्ताओं ने सम्मेलन स्थल के बाहर प्रदर्शन कर शाह का विरोध किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने सम्मेलन के पोस्टर फाड़ दिए शाह के खिलाफ नारेबाजी की।

कार्यकर्ताओं का कहना है कि शाह को सम्मेलन में शामिल किया जाता हैं तो वे सम्मेलन का ही विरोध करेंगे। पुलिस ने बताया कि शाह के विरोध के चलते अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।

उल्लेखनीय है कि शाह का एक इंटरव्यू में विवादित बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून को हाथ में लेने की खुली छूट मिली गई है। पुलिस अफसर की हत्या से ज्यादा गाय की मौत का महत्व है और उन्हें अपने बच्चों की चिंता होती हैं। शाह के एक बयान ने देशभर में फिर से एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

शाह ने कहा था कि मैं अपने बच्चों के लिए चिंतित महसूस करता हूं क्योंकि कल अगर भीड़ उन्हें घेर लेती है और पूछता है, क्या तुम हिन्दू हो या मुसलमान? उनका कोई जवाब नहीं होगा, जहर तो समाज में ही फैल चुका है। कानून को अपने हाथों में ले जाने वालों के लिए पूरी सजा है। हमने पहले ही देखा है कि एक गाय की मौत आज के भारत में एक पुलिस अधिकारी की तुलना में अधिक महत्व है।

कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में कथित गोकशी के बाद हिंसा भड़क गई थी।इस हिंसा के दौरान किसी ने इंस्पेक्टर सुबोध सिंह को गोली मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई।

फेस्टिवल का आगाज

गौरतलब है कि शुक्रवार अपराह्न दो बजे मूलचंद चौहान पटेल इंदौर स्टेडियम में अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल का विधिवत आगाज हुआ। अन्य अतिथियों ने उदघाटन की रस्म अदायगी की। लिटरेरी सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय साहित्यिक महाकुंभ में लेखक, विचारक, पत्रकार और बुद्धिजीवी साहित्य, सिनेमा, पत्रकारिता सहित कई मुद्दों पर विचार विमर्श करेंगे।