अजमेर। राजस्थान में अस्सी वार्डों वाले अजमेर नगर निगम में अपना महापौर बनाने के लिए सत्तारुढ़ कांग्रेस एवं विपक्ष भारतीय जनता पार्टी ने पार्षदों का चुनाव परिणाम आने से पहले ही सियासी प्रयास शुरु कर दिए हैं।
इसी तरह किशनगढ़ नगर परिषद तथा केकड़ी, सरवाड़ नगरपालिकाओं में भी इसी तरह की स्थिति नजर आ रही है। अजमेर नगर निगम में महापौर की कुर्सी पर दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस एवं भाजपा की नजर है। बहुमत न मिलने की स्थिति में अपने उम्मीदवारों की बाड़ेबंदी सहित बागियों एवं निर्दलीयों को भी अपनी ओर खींचने के लिए अभी से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। इस बार निगम महापौर की कुर्सी अनुसूचित जाति महिला वर्ग के लिए आरक्षित है। इसके चलते अनेक पूर्व पार्षदों एवं नेताओं ने अपनी पत्नियों को चुनाव लड़वाया है।
चुनावी समर में कांग्रेस, भाजपा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), निर्दलीय सहित 57 महिलाएं शामिल हुई। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं चुनाव प्रभारी अरुण चतुर्वेदी तथा सहप्रभारी अशोक लाहौटी आज अजमेर पहुंच गए हैं और सभी उम्मीदवारों की उनके समक्ष उपस्थिति सुनिश्चित कराने की तैयारी है। किशनगढ़ में तो गुरुवार की रात बाड़ेबंदी कर ली गई। किशनगढ़ प्रगति मंच के संयोजक एवं विधायक सुरेश टांक ने कांग्रेस एवं भाजपा दोनों को कड़ी टक्कर दी है।
पार्षदों के चुनाव परिणाम 31 जनवरी को आएंगे। उसके बाद सात फरवरी को महापौर का चुनाव होगा और उसके बाद आठ फरवरी को उपमहापौर, उपसभापति एवं उपाध्यक्ष के लिए चुनाव कराया जायेगा। नगर निकाय की इस चुनावी जंग में अनेकों नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। जिनमें राज्य के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, विधायक राकेश पारीक एवं सुरेश टांक, सांसद भागीरथ चौधरी, पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी एवं अनिता भदेल सहित कई नेता शामिल हैं।