अजमेर। नगर निगम अजमेर के चुनाव में इस बार भाजपा और कांग्रेस की जीत हार के परंपरागत राजनीतिक और जातिगत समीकरण टूटते नजर आ रहे हैं। टिकट वितरण को लेकर उपजे असंतोष पर दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल काबू नहीं पा सके। बागी होकर निर्दलीय के रूप में दम ठोंक चुके प्रत्याशी खुद की जीत की संभावना के चलते मैदान में दो दो हाथ कर रहे हैं। चुनाव प्रचार के दूसरे सप्ताह के शुरुआत से ही कुछ वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवार अब पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशियों को टक्कर देने की स्थिति में आ गए हैं तो कुछ निर्दलीय सिर्फ टिकट ना मिलने से उजपी नाराजगी के चलते वोट काटने के लिए डटे हैं।
अगर बात वार्ड 76 की करें तो यह परंपरागत रूप से भाजपा का गढ माना जाता रहा है। विधानसभा चुनाव में भी इस वार्ड के ब्लॉक ए, बी व सी से पार्टी को बढत मिली और वासुदेव देवनानी को फिर विधायक बनने में सहारा लगा। शिक्षित वर्ग की अधिकता होने से भाजपा को इसका फायदा मिलता रहा है, लेकिन वार्ड चुनाव में टिकट वितरण से पहले और बाद में उपजे हालात के बाद इस बार भाजपा के लिए खुद उसके ही बागी और निर्दलीय मुसीबत बन रहे हैं।
हाउसिंग बोर्ड यूआईटी की आवासीय कॉलोनी वाले इस वार्ड में जातीगत समीकरण भी गडबडा गया है। खासकर दोनों ही पार्टियों ने कायस्थ समाज को केन्द्र मानकर उम्मीदवार तय किए। भाजपा ने अतिष माथुर और कांग्रेस ने समीर भटनागर को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया। लेकिन कायस्थ समाज से तीन निर्दलीय प्रत्याशियों सुरेश प्रकाश माथुर, ब्रिजेश माथुर, अजय माथुर के मैदान में उतर जाने से जातीगत वोटों के आधार पर अपना पलडा भारी मान रहे भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों की राह कठिन हो गई। एक ही वर्ग के वोटों में संभावित बिखराव के इन हालात से भाजपा और कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों की पेशानी पर बल पडना स्वाभाविक है।
दो अन्य निर्दलीय प्रत्याशी पूजा तोलवानी और किशन चेलानी भी मैदान में डटे हैं। सिंधी वोटों का ध्रुवीकरण इनके पक्ष में होता है तो इसका खामियाजा भी भाजपा और कांग्रेस को उठाना पड सकता है। प्रचार की दृष्टि से फिलहाल किशन चेलानी मजबूत दिखाई पड रहे हैं। कायस्थ समाज में वोट बिखरने की संभावना के बाद अगर सिन्धी वोट नहीं बंटेंगे तो चौंकाने वाला परिणाम सामने आ सकते हैं। वार्ड में अभी तक पूजा तोलानी की ओर से कोई बडी रैली या जनसंपर्क नहीं दिखा है। लेकिन किशन चेलानी अपने चुनाव प्रचार और जनसंपर्क को भाजपा और कांग्रेस की तरह व्यवस्थित रूप से चला रहे हैं। एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी निर्मल कुमार पाटनी भी प्रचार की दृष्टि से वार्ड में मतदाताओं के लिए अनजाने चेहरे की तरह हैं।
वार्ड 76 से जुडी गणेश गुवाडी को गरीब और मध्यम आय वाले मतदाताओं का क्षेत्र माना जाता है। वोटों के घनत्व की दृष्टि से इसका अपना महत्व है। यहां पूर्व में भाजपा व कांग्रेस के बीच वोटों का बंटवारों सामान्यत: बराबरी के कांटे पर रहता आया है। अजमेर विकास प्राधिकरण की इस आवासीय योजना क्षेत्र में रहने वालों की जनसमस्याओं ने नासूर का रूप ले लिया है। पंचशील बी ब्लाक से जुडा सेक्टर छह हालांकिे अधिक मतदाताओं वाला क्षेत्र नहीं है लेकिन इस बार गणेश गुवाडी की तरह इसकी महत्ता बढ गई है। ये दोनों ट्रंप कार्ड की तरह साबित हो सकती हैं।