अजमेर। लोक परिवहन बस सेवा और राजस्थान रोडवेज के बीच गुरुवार को एकाएक विवाद हो गया। चुनाव से पहले सख्ती के चलते जिन निजी बसों के रोडवेज के आस पास से सवारियां लेने पर रोक थी वे अब धडल्ले से बस स्टेंड के सामने लगने लगी हैं।
इसी बात को लेकर रोडवेजकर्मी लोक परिवहन सेवा के विरोध में उतर आए। एक निजी बस के सवारियां लेने पर उन्होंने रोष जताया तो मामला गर्मा गया। देखते ही देखते रोडवेज स्टाफ और यूनियन से जुडे पदाधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। उनका कहना था कि इस क्षेत्र को प्रशासन ने नो पार्किंग जोन घोषित किया हुआ है इसके बावजूद पुलिस की मिलीभगत से निजी बसों के सवारियां लेने से रोडवेज को घाटा उठाना पडता है।
इस मामले में रोडवेज यूनियन के प्रतिनिधियों ने पुलिस अधीक्षक और कलक्टर को ज्ञापन सौंपा तथा बताया कि निजी, अवैध और लोक परिवहन बस सेवा वाहन अनधिकृत रूप से रोडवेज बस स्टेंड के आस पास से यात्री उतारने व चढाने का कार्य कर रहे हैं।
इंटक के संभाग प्रमुख महावीर सिंह रावत ने बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना में पूर्व में कलक्टर के निर्देश पर 10 अक्टूबर 2018 को सिटी मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में हुई बैठक में मौजूद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, मुख्य प्रबंधक अजमेर, अजयमेरु आगार, निजी बस चालक, लोक परिवहन बस मालिक मौजूद थे।
इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय हुआ था कि रोडवेज बस स्टेंड की परिधि क्षेत्र जयपुर रोड पर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तक नागौर रोड पर सावित्री चौराहा तक एवं पुरानी आरपीएससी भवन के पास से कोई भी वाहन खडा नहीं होगा। ना ह सवारियां उतारने व चढाने की अनुमति रहेगी। तब इस क्षेत्र को नो पार्किंग जोन घोषित किया गया।
वर्तमान में इस आदेश की अनदेखी कर लोक परिवहन एवं निजी वाहन नो पार्किंग जोन में वाहन खडे कर सवारियां उतारने व चढाने से बाज नहीं आ रहे। इससे रोडवेज के चालकों व परिचालकों से आए दिन सवारियों को लेकर नोक झोक होती है साथ ही रोडवेज के यात्रीभार पर प्रतिकूल असर पढ रहा है।
प्रतिदिन निजी वाहनों का दबाव बढने से बस स्टेंड के बाहर माहौल बिगडने की स्थिति उत्पन्न होती है। प्रशासन पूर्व में हुए समझौते ही पालना करावे ताकि भविष्य में किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न न हो। ज्ञापन देने वालों भारतीय मजदूर संघ, एटक तथा इंटक के प्रतिनिधि शामिल रहे।