Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
अजमेर : गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर संगत समागम - Sabguru News
होम Rajasthan Ajmer अजमेर : गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर संगत समागम

अजमेर : गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर संगत समागम

0
अजमेर : गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर संगत समागम

अजमेर। गुरु तेग बहादुर जी कट्टरपन के सामने मानवता की प्रखर आवाज बनकर उभरे थे उन्होने औरंगजेब के बर्बर अत्याचार से पीड़ित हिन्दू समाज को निर्भयता का अभयदान दिया। भारतीय संस्कृति की रक्षार्थ अपना बलिदान देकर उन्होंने सत्य के पथ पर अडिग रहने का साहस सम्पूर्ण समाज में जाग्रत किया।

ये विचार राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं राजस्थान सिक्ख समाज जयपुर के उपाध्यक्ष जसबीर सिंह ने श्री माधव स्मृति सेवा प्रन्यास अजमेर की ओर से रविवार को विजयलक्ष्मी पार्क में गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर आयोजित संगत समागम के अवसर पर व्यक्त किए।

मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने कहा कि नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी ने भारतीय संस्कृति के लिए एक रक्षक के रूप में कार्य किया है। उन्होंने कहा कि इस्लाम, ईसाई, फारसी और यहूदी बाहरी धर्म हैं, जबकि जैन, हिंदू, सिक्ख और बौद्ध धर्म हमारे देश में ही उत्पन्न हुए हैं। यह सभी भारत के धर्म रहे हैं उन्होंने कहा कि भारत भूमि पर जन्म लेना सौभाग्य की बात है। उन्होंने वाणी के रूप में जनता को जागृत करने का कार्य किया।

मुगलों के द्वारा महिलाओं और कन्याओं पर बहुत अत्याचार किया जाता था। संकट इस घड़ी में कई कुरीतियों ने जन्म लिया। जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, घुंघट प्रथा आदि। जिनको देशभर में घूम कर अपने प्रवचनों व अपनी वाणी से सुधारने का प्रयास किया। भारत देश को हमेशा एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया। छोटी जातियों को गुरु परंपराओं अनुसार गले लगाने का कार्य किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अजमेर के पुलिस महानिरीक्षक रुपिंदर सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा गुरु तेग बहादुर जी एक तपस्वी थे, एक योद्धा थे। उनके जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने जीवन भर अपने विचारों और प्रवचनों के जरिए जनता को जागृत करने के लिए भ्रमण किया। उन्होंने धर्मांतरण का हमेशा विरोध किया। किसी दूसरे के लिए मर मिटने सिख दी।

उनके काल में मुगल लगातार धर्मांतरण कर रहे थे। जिसका उन्होंने विरोध किया। एक तरह से गुरु तेग बहादुर ने अपने जीवन काल में ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत कर दी थी। उनकी वाणी से हमें प्रेरणा मिलती है कि मजबूर की हमेशा रक्षा करनी चाहिए, अहंकार का त्याग करना चाहिए, संगत केवल अच्छे लोगों की होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि अहंकार एक विनाशकारी विचार है जो हमें केवल विनाश की ओर ले जाता है। उन्होंने कोरोना काल मे संघ प्रेरित संस्थाओं तथा सिख समाज के द्वारा किए गए सेवा कार्यों की सराहना करते हुए कहा यह सब गुरु की प्रेरणा से ही हो सका।

उन्होंने कहा कि हमें अपने देश संस्कृति और धर्म के लिए बलिदान देने को तत्पर रहना चाहिए। अपनी मातृभाषा को सीखना चाहिए, उसे महत्व देना चाहिए हमें गुरूओं की वाणी को आत्मसात करते हुए निजी स्वार्थ को त्याग कर मानवता के लिए कार्य करने चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और श्री माधव स्मृति सेवा संस्थान अजमेर की ओर से आयोजित भारतीय संस्कृति के संरक्षक श्री गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश उत्सव पर आयोजित संत समागम में संगत ने शब्द सुना कर निहाल किया। भाई जसविंदर सिंह हजूरी रागी, गुरुद्वारा गंज ने जय जयकारा करें सब कोई हर मन धन बसैया सोई आदि शब्द सुना कर संगत को निहाल किया।

इस अवसर पर अभिनव प्रकाशन द्वारा प्रकाशित बक्शीश सिंह द्वारा लिखित पुस्तक हिंद का चादर का विमोचन भी किया गया। संगत समागम में मुख्य अतिथि सरदार गुरविंदर सिंह सेहमी थे तथा विशिष्ट उपस्थिति पुरुषोत्तम परांजपे की रही। कार्यक्रम का संचालन खाजुलाल चौहान तथा धन्यवाद ज्ञापन माधव स्मृति प्रन्यास अजमेर के सचिव बसंतकुमार विजयवर्गीय ने किया।