अजमेर। राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 809वें सालाना उर्स का झंडा आगामी आठ फरवरी को अजमेर दरगाह के बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया जाएगा।
अजमेर के ऐतिहासिक तारागढ़ से गुरुवार रात जमादिउल आखिर का चांद दिखाई देने एवं हिलाल कमेटी की पुष्टि के बाद यह तय हो गया कि ख्वाजा साहब के 809वें सालाना उर्स का झंडा आठ फरवरी को अजमेर दरगाह के 85 फुट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया जाएगा। झंडे की रस्म परंपरागत तरीके से भीलवाड़ा का गौरी परिवार पूरी करेगा और इस रस्म के साथ ही उर्स की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी।
हालांकि आने वाले दिनों में दरगाह कमेटी की ओर से उर्स के अधिकृत कार्यक्रम की सूचना नाजिम द्वारा की जाएगी लेकिन उर्स विधिवत रूप से रजब का चांद दिखाई देने पर 12 या 13 फरवरी से शुरू होगा। उर्स के मौके पर छह दिनों तक खुलने वाला जन्नती दरवाजा भी 12 फरवरी को खोल दिया जाएगा।
कोरोना महामारी के चलते उर्स में भीड़ को तो नहीं आने दिया जाएगा लेकिन दरगाह में धार्मिक रस्में परंपरागत तरीके से खादिम समुदाय पूरी करेगा। चांद दिखाई देने के साथ ही अब 20 जनवरी को ख्वाजा साहब की महाना छठी भी होगी। उसके बाद जमादिउल आखिर महीने की 25 तारीख को उर्स का झंडा चढ़ेगा।
उल्लेखनीय है कि अजमेर जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित दरगाह से जुड़े सभी पक्षों के साथ बैठक कर यह आग्रह कर चुके हैं कि उर्स का मेला कोरोना के चलते पहले की तरह नहीं भर पाएगा और न ही कायड़ विश्राम स्थली पर किसी भी जायरीन को ठहराने अथवा ठहरने की व्यवस्था होगी। लिहाजा सभी लोग अपने मेहमानों को उर्स के दौरान नहीं बुलाएं।