अजमेर। राजस्थान के अजमेर में विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 806वां सालाना उर्स बुधवार को परंपरागत झंडा चढ़ाने की रस्म के साथ ही अनौपचारिक रूप से शुरू हो गया।
रजब का चांद दिखने पर छह दिवसीय उर्स की विधिवत शुरुआत उन्नीस मार्च से होने की संभावना है। देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में आए अकीदतमंदों की मौजूदगी में सायं अस्र की नमाज के बाद झंडे का जुलूस प्रारंभ हुआ। जुलूस लंगरखाना गली स्थित गरीब नवाज गेस्ट हाउस परिसर से गाजे बाजे एवं कव्वालियों के बीच शान-ओ-शौकत से रवाना हुआ।
भीलवाड़ा से आए गोरी परिवार के फखरुद्दीन गौरी ने वंशानुगत अधिकार के तहत झंडे की रस्म को निभाया। जुलूस में राजस्थान बैंड के अलावा शाही चौकी कव्वाल असरार हुसैन एवं साथी सूफियाना कलाम पेश किये तथा कलंदरों के जत्थे ने भी अपने करतब दिखाए। गेस्ट हाउस से दरगाह बाजार के रास्ते निजाम गेट होते हुए झंडे का जुलूस बुलंद दरवाजे पहुंचा।
85 फुट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर उर्स के आगाज को लेकर धार्मिक रस्मों के साथ पारंपरिक तरीके से रोशनी से पहले ही झंडा चढ़ाने का काम पूरा कर लिया गया। इस दौरान बड़े पीर की पहाड़ी से 25 तोपों की सलामी भी दी गई।