अजमेर। राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 807वें सालाना उर्स के मुबारक मौके पर छठी के कुल की रस्म के बाद जुम्मे में बड़ी संख्या में नमाजियों ने नमाज अदा की।
उर्स के मौके पर दूसरे जुम्मे के अवसर पर देश दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए करीब डेढ़ लाख से ज्यादा जायरीन ने ख्वाजा गरीब नवाज के सजदे में सर झुकाए और नमाज अदा की। शहर काजी मौलाना तौसीफ अहमद सिद्दीकी ने सामुहिक नमाज अदा कराई।
नमाज से पहले डेढ़ बजे दरगाह स्थित शाहजहांनी मस्जिद से अजान और खुतबा हुआ। इसके बाद दरगाह के पिछवाड़े पहाड़ी पर बड़े पीर साहब की दरगाह से पहली तोप दागी गई जिसके साथ ही अकीदतमंदों ने सुन्नत अदा की।
दूसरी तोप के साथ ही खुतबे की अजान हुई और मौलाना तौसीफ अहमद ने खुतबा-ए-जुम्मा पढ़ा। इसके बाद 1:45 बजे तीसरी तोप के साथ जुम्मे की सामुहिक नमाज शुरू हुई।
दरगाह शरीफ के अंदर से लेकर सड़कों तक जमे नमाजी ख्वाजा गरीब नवाज की इबादत में डूबे नजर आए। नमाजियों के बैठने का सिलसिला सुबह जल्दी ही दरगाह परिसर में बैठना शुरू हो गया। नमाजी सफे बनाकर सड़कों तक पहुंच गए।
सफे बनाने का अर्थ बताया जाता है कि नमाज की अदायगी ख्वाजा साहब तक पहुंच रही है। दरगाह शरीफ में खुद्दाम-ए-ख्वाजा ने उर्स के मौके पर जुम्मे की नमाज के दौरान मुल्क में अमन चैन, खुशहाली, भाईचारा व कौमी एकता के साथ साथ उर्स में शरीक होने आए जायरीन की मन्नतें कबूल करने की भी दुआ की।
नमाजी दरगाह से निकलकर ढाई दिन के झोपड़े की ओर, दरगाह से नला बाजार होते हुए मदार गेट की ओर, दरगाह के मुख्य निजाम गेट से दरगाह बाजार, धान मंडी, दिल्ली गेट होते हुए फव्वारे सर्किल तक नमाज अदा करते हुए देखे गए।
इसके अलावा अजमेर शहर के अन्य प्रमुख स्थानों जिनमें अकबरी मस्जिद, संदली दरवाजा, चिल्ला कुतुब साहब, मस्जिद घंटाघर, मस्जिद कच्हरी, सोलहखंबा, ऋषिघाटी चिल्ला, मीना बाजार, आनासागर बारादरी सहित दरगाह से करीब बारह किलोमीटर दूर कायड़ विश्राम स्थली पर भी जायरीन ने नमाज अदा कर ख्वाजा गरीब नवाज से खुशहाली की दुआ की।
अजमेर के समीपवर्ती मुस्लिम बहुल क्षेत्र गगवाना, सोमलपुर, पीसांगन, ब्यावर आदि स्थानों से मुस्लिमों ने अजमेर पहुंचकर नमाज में हिस्सा लिया। नमाज के लिए दरगाह कमेटी की ओर से माकूल प्रबंध किए गए।
जिला एवं पुलिस प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ साथ खुफिया तंत्र भी मुस्तैद नजर आया।सत्रह मार्च को बड़े कुल की रस्म अदा की जाएगी जिसके बाद 807वां सालाना उर्स पूरी तरह संपन्न हो जाएगा।