अजमेर। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल काॅलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. विकास सक्सेना, अजमेर विद्युत विवरण निगम के कनिष्ठ अभियन्ता अंकुर तिलक गहलोत तथा बायोटेक्नोलोजी इंजीनियरिंग विद्यार्थी पूर्णिमा के दल द्वारा तैयार किए गए शोधपत्र को भारतीय प्रबन्ध संस्थान बैंगलूरू तथा हार्टफुलनेस संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया।
काॅन्फ्रेंस के लिए विश्व से सौ से भी अधिक शोधपत्र प्राप्त हुए थे। इनमें से 25 देशों के 40 शोधपत्रों का चयन प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया। इसमें राजस्थान का यह एकमात्र शोधपत्र था। यह अजमेर ही नहीं राजस्थान के लिए भी गर्व का विषय है।
यह अन्तर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस बैंगलूरू के भारतीय प्रबन्ध संस्थान परिसर में एक से 3 अगस्त तक आईआईएमबी एवं हार्टफुलनेस संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रही है। इसका विषय एलिवेटिंग काॅन्सियसनेस थ्रू मेडिटेशन फोर ग्लोबल हारमोनी है। यह बिजनेस पर्सनलिटीज, लीडर्स एवं शोधकर्ताओं के लिए विश्व स्तरीय चर्चा का प्लेटफाॅर्म है। मेडिटेशन, अवचेनता और प्रबन्धन को समेकित स्वरूप प्रदान करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
इस काॅन्फ्रेंस का उद्देश्य विश्व के अग्रीम संस्थाओं के मैनेजरों तथा वर्किंग प्रोफेसनलों को यह बताना है कि ध्यान के माध्यम से व्यक्ति बेहतर प्रबन्धक एवं प्रोफेसनल बन सकता है। नेतृत्व क्षमता के बारे में मुख्य उद्बोधन ग्लोबल मार्गदर्शक कमलेश डी पटेल दाजी का था। इसमें विश्व की प्रमुख कम्पनीयों के सीईओ तथा प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया था। वे यहां से नेतृत्व क्षमता के गुर सीखकर गए। इसमें काॅन्फ्रेंस निदेशक प्रोफेसर रामनाथ नारायणस्वामी, एलिजाबेथ डेनली तथा शरद हेगड़े भी उपस्थित रहे।
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल काॅलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. विकास सक्सेना, इन्जीनियर अंकुर तिलक गहलोत तथा बायोटेक्नोलोजी इंजीनियरिंग विद्यार्थी पूर्णिमा के दल ने यह शोध किया था। शोध का विषय इम्पेक्ट आफ हार्टफुलनेस आन वर्किंग प्रोफेशन्स इन पावर सेक्टर कम्पनीज आफ राजस्थान था।
इसके लिए राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम, अजमेर विद्युत वितरण निगम तथा टाटा पावर अजमेर के 409 अधिकारियों, तकनीशियनों तथा कार्मिकों पर पर वर्ष 2016 से दिसम्बर 2018 तक शोध किया गया। इस शोध में 95 प्रतिशत से भी अधिक प्रतिभागियों ने हार्टफुलनेस से जीवन में आमूलचूल परिवर्तन अनुभव किया। यह अनुभव तनाव मुक्ति, रिलेक्स मूड, आन्तरिक हल्कापन, चिन्तामुक्त मन तथा सुबह की स्फुर्ति के रूप में सामने आया।
शोध के दौरान पावर सेक्टर में होने वाली दुर्घटनाओं में भी जबरदस्त कमी देखी गई। दुर्घटनाआंे के कारण वर्ष 2014-15 में 24 मौतें तथा 52 घायल हुए। यह आंकड़ा हार्टफुलनेस संस्थान के द्वारा ध्यान विधि अपनाने से वर्ष 2017-18 में 9 मौत तथा 56 घायल तक ही सिमट गया।
पावर जैसे रिस्की सेक्टर में यह कमी बहुत मायने रखती है। इससे जानोमाल का नुकसान होने से बचा। समाज के लिए इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा। साथ ही कम्पनी को भी प्रशिक्षित कार्मिक खोने तथा आर्थिक हानि जैसे नुकसान नहीं हुए।
महर्षि इफेक्ट का पड़ा प्रभाव
महर्षि महेश योगी ने महर्षि इफेक्ट सिद्धान्त दिया था। इस सिद्धान्त के अनुसार किसी परिक्षेत्र के एक प्रतिशत व्यक्ति मेडिटेशन करते हैं तो इसका सकारात्मक प्रभाव पूरे क्षेत्र पर पड़ता है। इस कारण वहां दुर्घटनाओं जैसे नकारात्मक कारक अपना प्रभाव नहीं दिखा पाते है। यही कारण रहा कि मेडिटेशन के कारण इन कम्पनियों में भी दुर्घटनाओं में कमी आई।
दल के कार्य को मिली सराहना
अजमेर विद्युत वितरण निगम के तकनिकी निदेशक श्री एम.बी. पालीवाल ने कहा कि मैं दल को इम्पेक्ट आॅफ हार्टफुलनेस आन वर्किंग प्रोफेशन्स इन पावर सेक्टर कम्पनीज आफ राजस्थान विषय पर संस्थान में आकर शोध करने के लिए धन्यवाद देता हूं साथ ही आईआईएमबी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में आयोजित हो रहे अन्तरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में चयनित होने पर बधाई भी देता हूं। हार्टफुलनेस संस्थान के द्वारा किए गए ध्यान सत्रों के कारण निगम के अधिकारियों एवं कार्मिकों को प्रभावी लाभ प्राप्त हुआ है। विशेष रूप से मानसिक-शारीरिक तनाव एवं दुर्घटनाओं में कमी तथा कार्यक्षमता में वृद्धि के स्तर पर लाभकारी रहा है।
टाटा पावर अजमेर के एचआर प्रमुख श्याम सुन्दर चौधरी ने कहा कि हार्टफुलनेस संस्थान के द्वारा सिखाई गई पद्धति से कार्मिकों एवं अधिकारियों में तनाव को प्रबन्धित तथा मुक्त करने के साथ-साथ उपभोक्ताओं के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करने में अभिवृद्धि दर्ज की गई।