पणजी (गोवा)। 27 मई से 4 जून की अवधि में आयोजित अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के लिए भारत के 25 राज्य और बांग्लादेश से कुल 174 हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के 520 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिन्दुओं की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के साथ ही मंदिरों के सरकारीकरण के विषय में व्यापक चर्चा की।
भारत का संविधान सेक्युलर होते हुए भी सरकार हिन्दुओं के मंदिरों का व्यवस्थापन कैसे देख सकती है?, ऐसा प्रश्न सर्वोच्च न्यायालय ने दो बार उपस्थित किया है। भारत में केवल हिन्दुओं के मंदिरों का सरकारीकरण करने वाली सरकार मस्जिद, चर्च आदि का सरकारीकरण करने का साहस क्यों नहीं दिखाती? सरकारीकरण किए मंदिरों की स्थिति भयावह है। अनेक मंदिर समितियों में भ्रष्टाचार चल रहा है। सरकार अधिगृहीत मंदिरों की परंपराएं, व्यवस्था आदि में हस्तक्षेप कर उसमें परिवर्तन कर रही है। ये प्रयास श्रद्धालु मन का हिन्दू कदापि सहन नहीं कर सकता।
मंदिरों के लिए हिन्दुओं की एक व्यवस्थापकीय समिति का गठन किया जाए। इस समिति में शंकराचार्य, धर्माचार्य, धर्मनिष्ठ अधिवक्ता, धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि इत्यादि नियुक्त किए जाएं। मंदिरों के संदर्भ में निर्णय सेक्युलर सरकार द्वारा न लिया जाए, उसे लेने का अधिकार इस समिति को दिया जाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने की।
वे 3 जून को यहां के हॉटेल मनोशांति में अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस समय ‘भारत रक्षा मंच’ के राष्ट्रीय सचिव ओडिशा के अनिल धीर, हिन्दू चार्टर की रितु राठोड, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस और हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे उपस्थित थे।
संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी ने आगे कहा कि वैधानिक दृष्टि से मंदिराेंं को नियंत्रण में लेने का कोई भी अधिकार सरकार को प्राप्त नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के नटराज मंदिर के संदर्भ में निर्णय देते हुए स्पष्ट किया है कि किसी भी सेक्युलर सरकार को मंदिर का सरकारीकरण कर उसे स्थायी रूप से नियंत्रण में रखने का अधिकार नहीं है। उसी प्रकार सरकार मंदिरों की भूमि का सरकारी भूमि के रूप में उपयोग नहीं कर सकती।
यदि किसी मंदिर में अनचार होते हुए पाए गए, तो वहां तात्कालिक सरकारी अधिकारी का चयन कर वह अनाचार दूर करने के लिए समाधान योजना बनाकर वह मंदिर उस समाज को पुनः सौंपना है, परंतु प्रत्यक्ष में सरकार इन मंदिरों को दुधारू गाय के रूप में मंदिर भी हडपकर बैठे हैं। इसलिए सेक्युलरता की आड में आधुनिक गजनवी बने इन सरकारी प्रतिनिधियों को मंदिरों से बाहर निकालकर मंदिर हिन्दू समाज को लौटाने के लिए आगामी वर्ष में संपूर्ण भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन एकत्रित रूप से ‘मंदिर-संस्कृति रक्षा अभियान’ नाम से राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाएंगे।
इस अवसर पर अनिल धीर ने कहा कि सरकारी पुरातत्व विभाग को मंदिरों की नहीं, अपितु केवल ताजमहल की ही चिंता है। ओडिशा के पुरी का जगन्नाथ मंदिर तथा कोणार्क का सूर्यमंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं परंतु उसकी ठीक से देखभाल नहीं की जाती। इन मंदिरों की विगत 500 वर्षों में जितनी दुर्दशा नहीं हुई होगी, उतनी पिछले 50 वर्षों में हुई है।
हिन्दू संस्कृति जीर्णोद्धार निगम के जरिए मंदिरों का नवीकरण हो : रितु राठोड
सरकार मंदिर में मिलने वाले अर्पण पर कर लगाती है परंतु मस्जिद-चर्च को छूट देती है। हिन्दुओं को कहीं भी धर्मशिक्षा की व्यवस्था नहीं। बच्चों को यदि वेद सिखाने हो, तो हिन्दू कहां जाएं? यह अन्याय है। धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए इन मंदिरों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त करना होगा। भारत की नवनिर्वाचित भाजपा सरकार को हिन्दू संस्कृति जीर्णोद्धार निगम की स्थापना कर उसके लिए न्यूनतम 10,000 करोड रुपए की धनराशि देनी चाहिए। इस धनराशि का उपयोग हिन्दुओं के प्राचीन मंदिरों का संरक्षण एवं नवीकरण साथ ही भारतीय कला, साहित्य, संस्कृति के संवर्धन हेतु किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर चेतन राजहंस ने कहा कि मंदिर-संस्कृति रक्षा अभियान के अंतर्गत हिन्दू धर्म पर हो रहे विविध आघातों के विरुद्ध न्यायालयीन संघर्ष हेतु सूचना के अधिकार का प्रभावशाली पद्धति से उपयोग करना, मंदिरों की रक्षा हेतु विविध स्थानों पर बैठकें करना तथा आंदोलनों का आयोजन करना साथ ही मंदिर व्यवस्थापन और पुजारियों के साथ बैठकें करना तथा मंदिरों के माध्यम से हिन्दुओं को धर्मशिक्षा मिले, इसके लिए हम व्यापक स्तरपर प्रयास करेंगे।
अधिवेशन में पारित किए गए प्रस्ताव
1. भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने हेतु अधिवेशन में उपस्थित सभी हिन्दू संगठन इसके लिए संवैधानिक पद्धति से प्रयास करेंगे। असंवैधानिक पद्धती से संविधान में डाला गया सेक्युलर शब्द हटाकर वहां ‘स्पिरिच्युयल’ शब्द रखे तथा भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करे।
2. नेपाल हिन्दू राष्ट्र घोषित हो, नेपाली हिन्दुओं की इस मांग का अधिवेशन संपूर्णतः समर्थन करती है।
3. केंद्र शासन हिन्दू समाज की उच्च भावनाओं को ध्यान में रखकर अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण करें साथ ही संपूर्ण देश में ‘गोहत्याबंदी’ एवं ‘धर्मांतरणबंदी’ के विषय में समुचित कानून बनाए।
4. पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं श्रीलंका के हिन्दुओं के साथ जो अत्याचार हो रहे हैं, उनकी जांच अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन और भारत सरकार करे। पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों में अत्याचारों से पीडित तथा उस कारण भारत की शरण में आए हिन्दुओं को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाए।
5. कश्मीर घाटी में स्वतंत्र ‘पनून कश्मीर’ नामक केंद्रशासित प्रदेश बनाकर विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर में फिर से बसाया जाए। संविधान से ‘अनुच्छेद 370’ एवं ‘अनुच्छेद 35-अ’ को तत्काल रद्द किया जाए ।
6. केंद्र सरकार, पूरे देश में अधिगृहीत सभी मंदिरों का अधिग्रहण रद्द कर, वहां का व्यवस्थापन भक्तों को सौंपे। मंदिरों की परंपराएं तथा वहां चलने वाले धार्मिक कृत्यों के विषय में निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रबंधसमिति का गठन हो।
7. केंद्र सरकार, पूरे देश के जिन नगरों, भवनों, सडकों आदि के नाम विदेशी आक्रांताओं ने रखे हैं, उन नामों को बदलने का निर्णय ले। भारतीय संस्कृति के अनुरूप अन्य नाम रखने के लिए केंद्र शासन तत्काल ‘केंद्रीय नामकरण आयोग’ गठित करे।
8. नास्तिकतावादियों की हत्याओं के प्रकरणों में अन्वेषण विभाग सनातन संस्था के निर्दोष साधकों का उत्पीडन न करे; इसके लिए केंद्रशासन तुरंत हस्तक्षेप करे। जो अस्तित्व में ही नहीं है, ऐसे हिन्दू आतंकवाद शब्द का प्रयोग करने पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए।
9. श्रीराम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिकजी पर गोवा राज्य में कानून का दुरुपयोग कर असंवैधानिक पद्धति से प्रवेश प्रतिबंधित करने का यह अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन निषेध करता है।
10. हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय सचिव अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर और परिषद के सूचना अधिकार कार्यकर्ता विक्रम भावे को सीबीआई द्वारा बंदी बनाए जाने का अधिवेशन निषेध करता है। उन्हें सम्मानपूर्वक मुक्त करने की हमारी मांग है।
हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन कब क्या करें
51 स्थानों पर हिन्दू राष्ट्र जागृति सभाएं आयोजित की जाएंगी !
16 नए स्थानों पर प्रतिमास ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ आरंभ किए जाएंगे !
कुल 26 स्थानों पर ‘हिन्दू राष्ट्र संगठक प्रशिक्षण कार्यशालाएं’ आयोजित की जाएंगी !
38 स्थानों पर ‘वक्ता-प्रवक्ता कार्यशालाएं’ आयोजित की जाएंगी !
236 स्थानों पर ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति बैठकों’ का आयोजन होगा !
पूरे देश में 27 स्थानों पर ‘साधना शिविर’, 23 स्थानों पर ‘सूचना अधिकार कार्यशालाएं’
23 स्थानों पर ‘सोशल मीडिया शिविर’ और 18 स्थानों पर ‘शौर्य जागरण शिविर’ आयोजित किए जाएंगे!