नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, केन्द्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के विरूद्ध चल रहे ‘किसान आंदोलन’ को देश विरोधी ताकतों द्वारा दिग्भ्रमित किए जाने से हुई अराजकता को समाप्त कर इन अराजक तत्वों के चंगुल से बाहर लाने की अपील करती है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, किसान परिवारों एवं कृषि मजदूरों के व्यापक हितों के पक्ष में है तथा आशान्वित है कि सरकार और किसान संगठनों के मध्य शुरू हो चुकी लोकतांत्रिक बातचीत सफल होगी तथा वर्तमान में अराजक हो चुका गतिरोध समाप्त हो सकेगा। बातचीत की प्रक्रिया के दौरान निश्चित रूप से वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देश की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर ही कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाना दूरगामी कृषि हेतु किसान हित तथा देश के हित में होगा।
किसानों की भावनाओं के साथ खेलते हुए किसान नेताओं का चोगा पहने शहरी माओवादियों ने किसान आन्दोलन को अगवाकर देश विरोधी, टुकड़े – टुकड़े गैंग का समर्थन कर किसान आन्दोलन को बदनाम करने की कोशिश की है। उनके देश विरोधी तत्त्वों के समर्थन करने के कुकृत्य से भारत-विरोधी एजेंडे का पर्दाफाश हो चुका है, करोड़ों रुपए की सम्पत्ति वाले इन तथाकथित किसान नेताओं के कुप्रयासों की अभाविप कड़ी भर्त्सना करती है।
कृषि छात्र कार्य के राष्ट्रीय संयोजक गजेन्द्र तोमर ने कहा कि इस आंदोलन में नागरिकता संशोधन कानून, धारा 370 तथा वामपंथियों द्वारा की गई भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में भ्रम फैलाने के प्रयास हो रहे हैं, जो कि अति निंदनीय है। इस तरह के कुत्सित प्रयासों से कथित किसान नेताओं और संगठनों की वास्तविकता सामने आ गई है।
अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि किसान आंदोलन की आड़ में जिस प्रकार की अराजकता तथा कुछ जगहों पर भारत-विरोधी एजेंडे को बढ़ाने की घटनाएं सामने आई हैं, वो चिंतनीय है। हम यह आशा करते हैं कि कृषि क्षेत्र से जुड़ा जनमानस इस खतरे से जरूर परिचित होगा। सरकार तथा किसानों के बीच चल रही बातचीत से शीघ्र हल निकालना आवश्यक है, ऐसा अभाविप मानती है।