नई दिल्ली। मनुष्य में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा अधिक समय तक युवा बनाए रखने में मददगार सुपर फूड नील हरित शैवाल ‘स्पिरुलिना’ का अब देश में व्यावसायिक पैमाने पर उत्पादन शुरु हो गया है।
बहुत कम लागत और कम समय में तैयार होकर अच्छी आय देने के कारण किसानों ने स्पिरुलिना की पैदावार शुरु कर दी है। उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में तेज गर्मी और खारे पानी के कारण संगठित रुप से किसान इसका उत्पादन कर रहे हैं। कुछ दवा कम्पनियां भी किसानों को इसके पैदावार के लिए प्रेरित कर रही हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के माइक्रोबायलॉजी विभाग की प्रमुख के अन्नपूर्णा और वैज्ञानिक डॉली वट्टल धर ने बताया कि स्पिरुलिना प्रोटीन का अकेला प्राकृतिक स्रोत है जो मनुष्य को ज्ञात प्रोटीन की सबसे ज्यादा मात्रा में मुहैया कराता है।
स्पिरुलिना में 65 से 72 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है जो सोयाबीन की तुलना में तीन गुना तथा मांस की तुलना में पांच गुना अधिक है। इस प्रोटीन की गुणवत्ता सर्वश्रेष्ठ है और इसमें अच्छी मात्रा में एमीनोग्राम होता है। इसमें बीटा कैरोटीन की उच्च मात्रा होती है जो विटामिन ए से सम्बद्ध है।
इसमें आयरन, फॉलिक एसिड , पॉली अनसैचुरेटेड एसिड , विटामिन बी 12 और एन्टी ऑक्सीडेंट के गुण पाये जाते हैं जिसके कारण यह शरीर में रोग प्रतिरोध क्षमता बढाने के साथ ही हृदय रोग और कैंसर की रोकथाम में कारगर है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि एक ग्राम स्पिरुलिना के पाउडर से मिलने वाली ऊर्जा एक किलोग्राम फलों और सब्जियों से मिलने वाली ऊर्जा के बराबर होती है।