अंबाला। फ्रांस से खरीदे जाने वाले 36 राफेल जेट फाइटर की पहली खेप के पांच राफेल विमान बुधवार दोपहर अंबाला वायुसेना एयरबेस पहुंचे।
राफेल जेट फाइटर की यह पहली खेप है। भारत ने फ्रांस से 59 हजार करोड रुपए में 36 राफेल जेट फाइटर खरीदने का सौदा किया है और इस सौदे की पहली खेप में यह विमान प्राप्त हुए हैं।
पांचों विमानों ने सोमवार को फ्रांस से उड़ान भरी थी और भारत तक पहुंचने के लिये सात हजार किलोमीटर की दूरी तय करनी थी। सोमवार को उड़ान भरने के दस घंटे का सफर तय कर राफेल संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे थे और आज वहां से उड़ान भर अंबाला पहुंचे।
अंबाला में ही राफेल फाइटर जेट्स की पहली स्कॉवड्रन तैनात होगी। 17वीं नंबर की इस स्कॉवड्रन को ‘गोल्डन-ऐरो’ नाम दिया गया है। इस स्कॉवड्रन में 18 राफेल लड़ाकू विमान तीन ट्रैनर और बाकी 15 फाइटर जेट्स होंगे।
पांच राफेल लड़ाकू विमानों के आने के पहले मंगलवार को अंबाला वायु सेना केंद्र के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर निषेधाज्ञा लागू की गई थी। अंबाला जिला प्रशासन ने वायुसेना केंद्र के तीन किलोमीटर के दायरे में लोगों के ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदने के लिए 23 सितंबर 2016 को फ्रांस की विमानन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी दसॉ एविएशन के साथ 59 हजार करोड़ रुपए का करार किया था। वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल अक्टूबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था।
राफेल भारतीय सेना के इतिहास में नये युग की शुरुआत : राजनाथ
नई दिल्ली। फ्रांस से अत्याधुनिक राफेल जेट लड़ाकू विमान के अंबाला एयरबेस पर लैंड करने के तुरंत बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बुधवार को कहा कि यह भारतीय सेना के इतिहास में नए युग की शुरुआत है।
फ्रांस से खरीदे जाने वाले 36 राफेल विमानों की पहली खेप के पांच विमान आज दोपहर तीन बजे के करीब अंबाला एयरबेस पर उतरे,जहां ‘वाटर सैल्यूट’ से अगवानी की गई। सिंह ने राफेल विमानों के अंबाला में लैंड करने के तुरंत बाद ही ट्वीट कर इनके आगमन की पुष्टि की। उन्होंने राफेल की खरीद का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए उन्हें धन्यवाद भी दिया।
उन्होंने कहा कि राफेल विमानों का भारत आना हमारे सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है। उन्होंने ट्वीट की श्रृंखला में कहा कि ये अत्याधुनिक विमान भारतीय वायु सेना की क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे।
अत्याधुनिक राफेल विमानों ने गत सोमवार को फ्रांस के शहर बोर्डो स्थित में मेरिनैक एयर बेस से उड़ान भरी थी। करीब 7000 किमी की उड़ान के दौरान इन विमानों को हवा में ही रिफ्यूल किया गया। ये विमान मंगलवार को संयुक्त अरब अमिरात के अल दफ्रा एयरबेस पर उतरे थे।
बुधवार पूर्वाहन इन्होंने 11 बजे भारत के लिये उड़ान भरी और भारतीय सीमा में इनके प्रवेश करते ही दो सुखोई एमकेआई30 विमान इनकी सुरक्षा के लिए आसमान में पहुंच गए और लगभग साढ़े चार घंटे के सफर के बाद इन्हें सुरक्षित अम्बाला वायु सेना केंद्र लेकर पहुंचे। राफेल विमानों ने वायु सेना केंद्र पर इनके लिए विशेष रूप से निर्मित हवाई पट्टी पर सुरक्षित लैंडिंग की।
इन विमानों को वायुसेना के 17वीं स्क्वाड्रन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाएगा जिसे अम्बाला वायु सेना केंद्र एयर बेस पर ‘गोल्डन एरो’ के रूप में भी जाना जाता है। हर तरह की युद्धक क्षमता वाले राफेल विमानों को मिट्योर और स्कॉल्प क्रूज मिसाइलों तथा मीका हथियार प्रणाली जैसे शक्तिशाली हथियारों से लैस किया जा सकता है। राफेल को उड़ा कर लाने वाले पायलटों को फ्रांस में ही लगभग तीन माह का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
वहीं इन विमानाें के आगमन के दृष्टिगत पर बड़ी संख्या में लोगों के जुटने और सुरक्षा के दृष्टिगत वायु सेना स्टेशन के आसपास के धूलकोट, बलदेव नगर, गरनाला और पंजोखड़ा समेत वायु सेना केंद्र के आसपास के क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू कर चार या अधिक लोगों के जमा होने, घरों की छतों पर आने, वीडियाेग्र्राफी और फोटाेग्राफी करने, तीन किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाने पर पाबंदी लगा दी गई थी।
राफेल विमानों की पहली खेप भारत को ऐसे समय मिली है जब उसका चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव चल रहा है। राफेल के वायु सेना बेड़े में शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता तथा भारत की ताकत में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। राफेल विमानों को फ्रांस के साथ वर्ष 2016 में हुये लगभग 60 हजार करोड़ रुपए के रक्षा सौदे के हिस्से के रूप में शामिल किया जा रहा है। भारत को सौदे के तहत अभी 31 और राफेल विमान मिलने हैं।