अजमेर। ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन कौंसिल कश्मीर के बारे में व्याप्त गलतफहमियों को दूर करके अवाम काे असलियत से रुबरु कराएगी।
कौंसिल के अध्यक्ष नसीरुद्दीन चिश्ती ने आज राजस्थान में अजमेर में ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन कौंसिल की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि बैठक में पिछले दिनों कौंसिल के दल द्वारा कश्मीर में किए गए दौरे की रिपोर्ट पेश की गई।
सभी सदस्यों ने तय किया कि वहां व्याप्त गलतफहमियों को दूर कराकर अवाम को असलियत से रुबरु कराया जाए और भविष्य में कश्मीर के विकास को सूफीवाद की तर्ज पर विकसित किया जाए।
उन्होंने बताया कि बैठक में कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्र सरकार से मांग की गई कि एक सुनिश्चित योजना कश्मीर के लिए तैयार की जाए ताकि वहां की अवाम खासकर युवा वर्ग गलतफहमी का शिकार न हो।
चिश्ती ने कहा कि कश्मीर से लौटा सूफी कौंसिल के दल का विचार है कि कश्मीर में सकारात्मक तरीके से पुराने सूफीवाद को लौटाने के लिए काम किया जाए और नफरत का माहौल समाप्त करने के लिए हर स्तर पर पहल की जाए।
उन्होंने बताया कि बैठक में जल्द ही देश के प्रत्येक राज्य में ‘सूफी सेंटर’ खोलने के प्रयास किए जाएंगे। सबसे पहला सूफी सेंटर जल्द ही देश की राजधानी दिल्ली में स्थापित किया जाएगा। सूफी सेंटर खोलने का मकसद देश के युवाओं को सूफीवाद से जोड़ना और तालीम के जरिए मानवता एवं प्यार को बढ़ाना है।
उन्होंने बताया कि कौंसिल से देशभर की 300 दरगाहों के सज्जादानशीन जुड़े हैं, लिहाजा कौंसिल ने देशभर की दरगाहों के विकास में आने वाली बाधाएं दूर करने के लिए केंद्र सरकार से दरगाहों के बोर्ड के गठन की मांग की और यह भी कहा कि इसकी शुरुआत अजमेर शरीफ से की जाए।
एक सवाल के जवाब में नसीरुद्दीन चिश्ती ने करतारपुरा कॉरीडोर के लिए वहां जाने वाले श्रद्धालुओं से शुल्क लिए जाने की निंदा की तथा कहा कि किसी भी धार्मिक स्थान पर श्रद्धालुओं से शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए और सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए।
आज की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में दिल्ली, आगरा, तेलंगाना, लखनऊ, बिहार, बरेली, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश से आए सूफी संतों की खानकाहों के 37 प्रतिनिधि मौजूद रहे।