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सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी ने मांगा विपक्ष से रचनात्मक सहयोग - Sabguru News
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सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी ने मांगा विपक्ष से रचनात्मक सहयोग

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सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी ने मांगा विपक्ष से रचनात्मक सहयोग

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के सोमवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष से रचनात्मक सहयोग देने और इस दौरान अधिक से अधिक विधायी और अन्य कामकाज निपटाने का अनुरोध किया।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी की ओर से रविवार को यहां बुलाई गई बैठक में मोदी ने कहा कि सरकार विपक्ष से अधिक से अधिक सहयोग की अपेक्षा करती है। नए चेहरों के साथ संसद में नई सोच आएगी, तभी नया भारत बनेगा।

मोदी ने हर्ष जाहिर करते हुए कहा कि संसद का यह सत्र विशेष महत्व का होगा, क्योंकि इस दौरान राज्यसभा का 250वां सत्र होगा। इस दौरान विशेष कार्य और गतिविधियाें की योजना तैयार की गई होगी। इस सत्र के दौरान उच्च सदन को भारतीय संसद की ताकत दिखाने का अदभुत अवसर मिलेगा।

मोदी ने विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से विशेष मुद्दे उठाए जाने पर कहा कि सरकार विपक्षी दलों के साथ मिलकर रचनात्मक ढंग से काम करना चाहती है, जिससे लंबित विधायी कार्यों के साथ-साथ पर्यावरण और प्रदूषण, आर्थिक, कृषि और किसानों के मुद्दे का नीतिगत समाधान हो सके। वह समाज के वंचित युवाओं और महिलाओं के अधिकारों का समाधान चाहते हैं।

उन्होंने लोकसभा के अध्यक्ष और राज्य सभा के सभापति को संसद के पिछले सत्र के सुचारु रुप से संचालन के लिए बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने सदन के संचालन से लोगों में सकारात्मक सोच विकसित करने का प्रयास किया।

प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि सत्तापक्ष और विपक्ष शीतकालीन सत्र के दौरान सकारात्मक रवैया अपनाएंगे जिससे यह सत्र सफल और बेहतर कामकाज निपटाने वाला साबित होगा।

आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2019 में संशोधन को प्रभावी बनाने के लिए सितंबर में एक अध्यादेश जारी किया गया था जिसका उद्देश्य नई एवं घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में कमी लाकर आर्थिक सुस्ती को रोकना और विकास को बढ़ावा देना है।

दूसरा अध्यादेश भी सितंबर में जारी किया गया था जिसमें ई-सिगरेट और इसी तरह के उत्पाद की बिक्री, निर्माण एवं भंडारण पर प्रतिबंध लगाया गया है। लोकसभा चुनाव में मिले अपार जनादेश के साथ सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा नीत राजग सरकार का यह इस कार्यकाल में दूसरा संसद सत्र है।

गौरतलब है कि सरकार के लिए संसद का पहला सत्र काफी बेहतर रहा। सरकार द्वारा तीन तलाक को दंडनीय बनाने, राष्ट्रीय जांच एजेंसी को और अधिक शक्तियां देने जैसे कई अहम विधेयक दोनों सदनों में पारित हुए। इस दौरान जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को हटाने और इसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों-जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का प्रस्ताव भी दोनों सदनों में पारित हुआ।

तेरह दिसम्बर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कराने की तैयारी में है जो भाजपा का अहम मुद्दा है। इसका लक्ष्य पड़ोसी देशों से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार ने सत्र के दौरान अपनी कार्यसूची में इस विधेयक को सूचीबद्ध किया है।

सरकार ने इस विधेयक को अपने पहले कार्यकाल में भी पेश किया था,लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के चलते इसे पारित नहीं कराया जा सका। विपक्ष ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण बताया है।

आजाद ने नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारुक अब्दुल्ला और कांग्रेस सांसद पी चिदम्बरम को संसद सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति देने की सरकार से मांग की। उन्होंनें कहा कि पूर्व में यह परिपार्टी रही है कि सांसदों के खिलाफ मामले की सुनवाई चल भी रहे है तो उन्हें सदन की बैठक में हिस्सा लेने की अनुमति दी गयी थी। अब्दुल्ला तीन माह से अधिक से नजरबंद हैं। उन्हें संसद सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।

उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से कहा कि सरकार एवं पार्टियों के बीच बैठकें होती रहती हैं, और उसका प्रतिबिम्ब सदन के अंदर भी दिखना चाहिए। प्रधानमंत्री कहते हैं कि विपक्ष जिन मुद्दों पर चर्चा चाहता है, हम उसके लिए तैयार हैं। लेकिन जब हम सदन में खड़े होते हैं और कश्मीर तथा बेरोजगारी के मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं तो यही सरकार सदन के अंदर मुकर जाती है।
कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि सांसदों को देश के किसी भी हिस्से में जाने का अधिकार है। तृणमूल के बंदोपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी मूल्य वृद्धि, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को उठायेगी।

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण एक राष्ट्रीय संकट के रूप में सामने आ रहा है। सरकार को इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा कराकर समाधान का प्रयास करना चाहिए।