नई दिल्ली। स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा या उन्हें परेशान करने वालों पर कड़ी कार्रवाई के प्रावधान वाले महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020 समेत स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े तीन विधेयकों पर आज संसद की मुहर लग गई।
लोकसभा ने सोमवार देर रात महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020; होम्योपैथी केंद्रीय परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2020 और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2020 को पारित कर दिया। ये तीनों विधेयक राज्यसभा से पहले ही पारित हो चुके हैं। राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ये कानून का रूप ले लेंगे।
होम्योपैथी केंद्रीय परिषद् (संशोधन) विधेयक भी इस संबंध में अप्रैल में लाये गये अध्यादेश का स्थान लेगा। इसके जरिये सरकार को होम्योपैथी केंद्रीय परिषद् के पुनर्गठन के लिए एक साल का अतिरिक्त समय मिल जायेगा।
भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् (संशोधन) विधेयक इस संबंध में अप्रैल में जारी अध्यादेश की जगह लेगा। इसके जरिये केंद्र सरकार भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् को भंग कर उसका कामकाज देखने के लिए एक संचालक मंडल का गठन कर सकेगी। साथ ही एक वर्ष के भीतर उसे परिषद् का पुनर्गठन करना होगा। वह नीतिगत मामलों पर संचालक मंडल को निर्देश भी दे सकती है।
तीनों विधेयक सदन में ध्वनिमत से पारित किये गये।
महामारी (संशोधन) विधेयक इस संबंध में अप्रैल में लाये गये अध्यादेश की जगह लेगा जिसमें सरकार को महामारी के नियंत्रण के लिए कोई भी कदम उठाने का अधिकार दिया गया है। इसमें स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा को संज्ञेय एवं गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाने पर छह महीने से सात साल तक की कैद और एक लाख रुपये से पाँच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। अन्य किसी भी तरह की हिंसा के लिए तीन महीने से पाँच साल तक की कैद और 50 हजार रुपये से दो लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही पीड़ित को मुआवजा भी देना होगा। यदि हिंसा में संपत्ति को नुकसान पहुँचा है तो उसके बाजार मूल्य का दुगुना क्षतिपूर्ति के रूप में देना होगा।
स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा की शिकायत की जाँच 30 दिन के अंदर और सुनवाई एक साल के अंदर पूरी करनी होगी।