Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
पहले 17 दिन पृथ्वी की कक्षा में ही रहेगा चंद्रयान - Sabguru News
होम Andhra Pradesh पहले 17 दिन पृथ्वी की कक्षा में ही रहेगा चंद्रयान

पहले 17 दिन पृथ्वी की कक्षा में ही रहेगा चंद्रयान

0
पहले 17 दिन पृथ्वी की कक्षा में ही रहेगा चंद्रयान

श्रीहरिकोटा। चंद्रमा पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 की सोमवार को तड़के 2.51 बजे लॉन्चिंग के बाद पहले 17 दिन यह पृथ्वी की कक्षा में ही रहेगा जहां से अगले पांच दिन में इसे चांद की कक्षा में स्थानांतरित किया जाएगा।

यह मिशन इसरो के इतिहास के सबसे कठिन मिशनों में से एक है। चंद्रयान का लैंडर छह सितंबर के आसपास चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मैनजिनस सी और सम्पेलस एन क्रेटरों के बीच उतरेगा। आज तक दुनिया के किसी अन्य देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मिशन नहीं भेजा है।

इसरो के अनुसार पहले 17 दिन पृथ्वी की कक्षा में रहने के बाद चंद्रयान को चंद्रमा की कक्षा में स्थानांतरित करने वाले वक्र पथ पर डाला जाएगा। बाइसवें दिन यानी छह अगस्त को यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंच जाएगा।

वहां अगले 27 दिन तक चंद्रयान चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। पचासवें दिन लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए आर्बिटर से अलग हो जाएगा जबकि ऑर्बिटर उसी कक्षा में चक्कर लगता रहेगा। इक्यावनवें दिन से लैंडर की गति कम की जाएगी और 54वें दिन वह चंद्रमा पर उतरेगा।

अपने दूसरे मिशन में इसरो ने सॉफ्ट लैंडिंग का लक्ष्य रखा है। लैंडर दो मीटर प्रति सेकेंड की बेहद धीमी गति से आहिस्ते से चंद्रमा पर उतरेगा।

चंद्रयान के तीन हिस्से ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर हैं जिन्हें एक समेकित मॉड्यूल में रखा गया है। इस मॉड्यूल का वजन 3850 किलोग्राम है। यह 3.1 गुना 3.1 गुना 5.8 मीटर के आकार का है।

ऑर्बिटर का वजन 2379 किलोग्राम है। इसमें 1000 वाट बिजली उत्पन्न करने की क्षमता है। इसमें आठ वैग्यानिक उपकरण यानी पेलोड हैं जो विभिन्न आँकड़े जुटायेंगे। यह एक साल तक चंद्रमा की कक्षा में रहेगा।

लैंडर, जिसे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के पितामह विक्रम साराभाई के नाम पर विक्रम नाम दिया गया है, चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। यह एक चंद्र दिवस यानी करीब 14 दिन तक आंकड़े जुटाने का काम करेगा। इस पर चार पेलोड हैं। इसका वजन 1471 किलोग्राम है और यह 650 वाट बिजली उत्पन्न कर सकता है।

रोवर को प्रग्यान नाम दिया गया है। इसका वजन 27 किलोग्राम है और इसमें छह पहिये लगे हैं। यह लैंडर से 500 मीटर के दायरे में चक्कर लगा सकता है। इस दौरान इसकी गति एक सेंटीमीटर प्रति सेकेंड होगी। इस पर दो पेलोड हैं।

ऑर्बिटर और लैंडर बेगलूरु के पास ब्यालालू स्थित इंडियन डीप सी नेटव्रक नामक इसरो के नियंत्रण कक्ष से सीधे संपर्क में रहेंगे। ये आपस में भी संवाद कर सकेंगे। रोवर लैंडर के साथ संवाद करेगा।

इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना, उसकी भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। उल्लेखनीय है चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहाँ पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी।

इस मिशन में तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं।अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी सटीक दूरी पता लगाना है।