कोटा। छात्र राजनीति से लाेकसभा अध्यक्ष तक का सफर तय करने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिड़ला भले ही राष्ट्रीय राजनीति में चर्चित नाम नहीं रहे लेकिन राजस्थान में उन्हें पिछड़ों और गरीबों के हितैषी के रूप में जाना जाता है।
लगातार दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए बिड़ला का जन्म चार दिसम्बर 1962 को राजस्थान के कोटा में हुआ था। हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत के जानकार बिड़ला ने स्नातकोत्तर (वाणिज्य) तक की शिक्षा राजकीय कॉमर्स कालेज कोटा में ली। वह वर्ष 1979 से 12 साल तक छात्र यूनियन के अध्यक्ष रहे।
इसके बाद वह वर्ष 2003, 2008 एवं 2013 में 12वीं, 13वीं एवं 14वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने विधानसभा में पांच सौ से अधिक प्रश्न पूछे तथा विभिन्न मुद्दों पर सदन में सार्थक बहस में हिस्सा लिया।
वर्ष 2014 में वह कोटा से पहली बार भाजपा प्रत्याशी के रुप में सांसद बने और इस बार लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर लोकसभा पहुंचे। वह 2004 से 2008 तक राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव रहे और इस दौरान गरीब, असहाय और गम्भीर रोगियों आदि को राज्य सरकार से करीब पचास लाख रुपए आर्थिक सहायता दिलवाई।
राजस्थान के कोटा नगर में अगस्त 2004 में आई भयंकर बाढ़ के दौरान एक राहत दल का नेतृत्व करते हुए पीड़ितों को आवासीय, चिकित्सकीय और अन्य सहायता उपलब्ध कराने में मदद की।
बढ़ते प्रदूषण एवं घटती हरियाली को रोकने के लिए कोटा शहर में लगभग एक लाख पेड़ लगाने के लिए उन्होंने वृहद् ‘ग्रीन कोटा अभियान’ चलाया और विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक संस्थाओं एवं संगठनों के माध्यम से पार्कों/सार्वजनिक स्थानों पर पौधारोपण के साथ कोटा शहर के आवासीय क्षेत्रों में घर-घर जाकर निःशुल्क पौधा वितरण कर लोगों को प्रेरित किया।
बिड़ला अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के लगातार छह वर्ष तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। इससे पहले उन्होंने मोर्चा के जिलाध्यक्ष एवं भारतीय जनता युवा मोर्चा और कोटा के उपाध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाली। वह राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड नई दिल्ली तथा राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ जयपुर के चेयरमैन भी रहे। इसके अलावा उन्होंने सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार लिमिटेड तथा नेशनल कोल इंडिया लिमिटेड नयी दिल्ली के निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाली।
वह नेहरू युवा केन्द्र नई दिल्ली के संयुक्त सचिव भी रहे। उन्होंने नेहरू युवा केन्द्र के माध्यम से सम्पूर्ण देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन की वृहद् योजना बनाकर ग्रामीण प्रतिभाओं को आगे बढाने के अभियान का नेतृत्व किया।
राजस्थान के बारां जिले के सहरीया आदिवासी क्षेत्र में कुपोषण समाप्त करने के लिए भी उन्होंने कार्य किया। जनवरी 2001 में गुजरात में आये भयंकर भूकम्प पीड़ितों की सहायतार्थ चिकित्सकों सहित लगभग 100 से अधिक स्वयंसेवकों के राहत दल का नेतृत्व करते हुए उन्होंने लगातार 10 दिन तक दिन -रात भूकम्प पीड़ितों की सहायता की तथा उन्हें खाद्य एवं चिकित्सा सामग्री वितरित की। विभिन्न अवसरों, जयन्तियों एवं आवश्यकतानुसार रक्तदान शिविरों का भी उन्होंने समय-समय पर आयोजन करवाया।
बिड़ला ने सवाई माधोपुर सीमेंट फेक्ट्री प्रारंभ कराने के लिए जयपुर एवं सवाईमाधोपुर में आंदोलन का नेतृत्व किया। इसी क्रम में वह राज्य की विभिन्न जेलों में रहे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण आंदोलन में भी सक्रिय भागीदारी निभाई।
निर्धन, असहाय एवं जरूरतमन्द व्यक्तियों को निःशुल्क भोजन मुहैया कराने के सामूहिक प्रयासों में योगदान देते हुए उन्होंने ‘प्रसादम’ प्रकल्प की स्थापना की, यह सेवा अभियान अभी भी जारी है। शहर की कच्ची बस्तियों में अस्थाई रूप से रहने वाले निर्धन परिवारों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए जन सहयोग से बस्ती में ही ‘मेरी पाठशाला’ के नाम से स्कूल स्थापित किया।
वर्ष 2014 में ओला वृष्टि के कारण फसल खराब होने के कारण हताशा एवं आर्थिक परेशानियों से घिरे किसानों को जन सहयोग से सबल देने के लिए एक मुठ्ठी अन्न राहत अभियान भी उन्होंने चलाया। अभियान के तहत स्वयंसेवी, धार्मिक, व्यापारिक, औद्योगिक संस्थाओं के पदाधिकारियों के सहयोग से घर-घर जाकर अन्न एकत्रित कर ग्रामीण अंचल में ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को अनाज उपलब्ध कराया गया।
उन्होंने निर्धन, असहाय एवं जरूरतमन्द व्यक्तियों को निःशुल्क उपचार एवं दवाईयां उपलब्ध कराने के लिए जनसहयोग से ‘मेडिसिन बैंक’ प्रकल्प की स्थापना भी की। युवा पीढी में राष्ट्रीय भावना जागृत करने, शहीदों के बलिदान को सदैव याद रखने तथा नई पीढी में राष्ट्रीय चरित्र निर्माण की भावना स्थापित करने के उद्देश्य से कोटा शहर में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र भक्ति से ओत-प्रोत कार्यक्रम आजादी के स्वर का पिछले 13 वर्षों से आयोजन किया जा रहा है।
कोटा शहर में आईआईटी की स्थापना के लिए भी उन्होंने व्यापक आन्दोलन चलाया। इसके अलावा बूंदी जिले को चम्बल नदी का पानी उपलब्ध कराने के लिए भी उन्होंने काम किया।