प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम से ‘योगी’ शब्द हटाए जाने की मांग करने वाली याचिका काे इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।
दिल्ली निवासी नमाहा नामक व्यक्ति की ओर से दायर इस जनहित याचिका में योगी से उनका वास्तविक नाम सार्वजनिक किए जाने का की मांग उच्च न्यायालय से की गई थी। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायाधीश पीयूष अग्रवाल ने याचिका में पेश दस्तावेजों और याची की दलीलों में साम्य नहीं होने के कारण सोमवार को इसे खारिज कर दिया।
याचिका में मांग की गई थी कि योगी अपने वास्तविक नाम से ही एक बार फिर अपने पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण करें, साथ ही उन्हें अपने नाम से ‘योगी’ शब्द हटाने और भविष्य में इसे इस्तेमाल न करने का भी अदालत उन्हें आदेश दे। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि योगी विभिन्न स्थानों और अवसरों पर अलग अलग तरीके से (यथा: आदित्यनाथ’ एवं ‘आदित्य नाथ’) अपना इस्तेमाल कर रहे हैं।
अदालत ने कहा कि प्रतिवादी द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष दायर अपने नामांकन में सही नाम दर्शाया गया है। ऐसे में प्रतिवादी को ऐसा कोई निर्देश देने की कोई जरूरत नहीं है। अदालत ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का अर्थदंड लगाते हुए छह सप्ताह के भीतर यह राशि प्रयागराज स्थित सामाजिक संगठन ‘विकलांग केन्द्र, भारद्वाज आश्रम’ को देने का आदेश दिया।